क्या है उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड और जाफर के बीच टीम में सांप्रदायिकता फैलाने का विवाद?
क्या है खबर?
पूर्व भारतीय बल्लेबाज वसीम जाफर ने बीते मंगलवार को उत्तराखंड क्रिकेट टीम के हेडकोच पद से इस्तीफा दे दिया था।
जाफर के इस्तीफा देने के बाद उन पर आरोप लगाए थे कि वह टीम में सांप्रदायिकता फैला रहे थे।
टीम मैनेजर नवीनत मिश्रा ने जाफर पर कई आरोप लगाए थे, जिनका जाफर ने भी जवाब दिया है। जाफर के जवाब के बाद मामला तूल पकड़ने लगा है।
आइए जानते हैं यह पूरा मामला क्या है।
आरोप
जाफर पर लगे ये आरोप
मिश्रा ने आरोप लगाए थे कि जाफर उत्तराखंड टीम में मुस्लिम खिलाड़ियों की तरफदारी कर रहे थे।
उन्होंने यह भी कहा था कि ट्रेनिंग सेशन के दौरान जाफर द्वारा मौलवियों को बुलाया गया था।
इसके अलावा जाफर पर आरोप लगे कि वह अपने हिसाब से टीम चयन चाहते थे और इकबाल अब्दुल्लाह को कप्तान बनाना चाहते थे।
जाफर पर सभी आरोप उनके द्वारा इस्तीफा देने के बाद समाचार पत्र दैनिक जागरण से बातचीत में लगाए गए।
बयान
मुझे सांप्रदायिक कहना बेहद गलत बात- जाफर
बीते बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में जाफर ने कहा कि उन पर लगे सभी आरोप बेहद गंभीर हैं।
उन्होंने कहा, "मेरे ऊपर लगाया गया सांप्रदायिक मामला बहुत दुखदायी है और इसीलिए मैं बात करने आया हूं। आप लोग मुझे लंबे समय से जानते हैं और आपको पता होगा कि मैं कैसा हूं। यदि मैं सांप्रदायिक होता तो समाद फलाह और मोहम्मद नजीम ने हर मुकाबला खेला होता। यह सोचना या कहना काफी गलत बात है।"
बयान
'गो उत्तराखंड' नारा लगाने की दी थी सलाह- जाफर
जाफर पर टीम का नारा बदलने के भी आरोप लगे। इस पर उन्होंने कहा, "टीम पहले सिख समुदाय का एक नारा लगाती थी जिसे मैंने 'गो उत्तराखंड' करने को कहा था। मैंने कभी 'जय श्री राम' जैसा नारा लगते नहीं सुना था।"
कप्तानी
चयनकर्ताओं ने अब्दुल्लाह को बनाया था कप्तान- जाफर
जाफर ने यह भी कहा कि सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए चुने गए 22 में से केवल तीन खिलाड़ी ही मुस्लिम थे।
उन्होंने कहा, "यदि मैं सांप्रदायिक होता तो फिर मैं क्यों जय बिष्ट को लेकर आता? मैं तो उन्हें कप्तान भी बनाना चाहता था। चयनकर्ताओं ने इकबाल अब्दुल्लाह को कप्तान बनाने का निर्णय लिया था क्योंकि वह सीनियर खिलाड़ी थे। मैंने उनके सुझाव को स्वीकार कर लिया था।"
मौलवी
मौलवी को मैंने नहीं बल्कि अब्दुल्लाह ने बुलाया था- जाफर
जाफर ने यह भी बताया कि मौलवी को बुलाने का निर्णय उनका नहीं था और नवनीत मिश्रा ने जरूरी आदेश भी लिए गए थे।
उन्होंने कहा, "शुक्रवार को जो मौलवी आए थे उन्हें मैंने नहीं बल्कि इकबाल अब्दुल्लाह ने बुलाया था। शायद वह देहरादून में किसी को जानते थे और शुक्रवार को जुम्मे की नमाज होती है।"
जाफर ने यह भी कहा कि शुक्रवार के दिन केवल ड्रेसिंग रूम में वे लोग नमाज अदा करते थे।
टीम चयन
टीम चयन में सेक्रेटरी के दखल से आहत थे जाफर
जाफर ने इस्तीफा देने का कारण टीम चयन में सेक्रेटरी के दखल को बताया था।
उनका कहना था कि विजय हजारे ट्रॉफी के लिए टीम चुनते समय वह मौजूद नहीं थे और उनके सुझावों को भी इग्नोर किया गया था।
उन्होंने कहा, "यदि महिम वर्मा ने मुझे वहां क्रिकेट सुधारने के लिए बुलाया था तो मुझे थोड़ी आजादी मिलनी थी। यदि पहले जैसी ही चीजें रहनी थी तो मेरे वहां जाने का कोई मतलब नहीं बनता।"
नवनीत मिश्रा
टीम मैनेजर बने हैं विवाद का केंद्र
BBC हिन्दी की रिपोर्ट के मुताबिक महिम वर्मा ने साफ किया है कि उन्हें जाफर के सांप्रदायिक होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
इसके अलावा बोर्ड ने यह भी साफ किया है कि उन्हें इस बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है।
इस हिसाब से मैनेजर नवनीत मिश्रा विवाद का केंद्र बने हैं और उन्होंने स्थानीय अखबार से मौलवी के आने के बारे में बात करने को स्वीकार भी किया है।
पक्ष
वसीम के पक्ष में खड़े हो रहे हैं भारतीय क्रिकेटर्स
पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने ट्विटर पर लिखा, 'तुम्हारे साथ हूं वसीम। तुमने सही काम किया। दुख है कि खिलाड़ियों को तुम्हारी मेंटरशिप से वंचित होना पड़ेगा।'
वहीं जाफर के साथ विदर्भ के लिए खेल चुके फैज फजल ने लिखा, 'वसीम भाई अच्छा क्रिकेटर होने के साथ आप बेहद अच्छे इंसान और बड़े भाई जैसे हैं। हम सब आपके साथ हैं।'
भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मामले में दखल देने की अपील की है।