रणजी ट्रॉफी 2021-22: कप्तान रहते इतिहास रचने से चूके थे चंद्रकांत पंडित, अब किया सपना पूरा
क्या है खबर?
मध्य प्रदेश ने रणजी ट्रॉफी 2021-22 में इतिहास रच दिया। आदित्य श्रीवास्तव की कप्तानी में मध्य प्रदेश ने फाइनल मुकाबले में 41 बार की चैंपियन मुंबई को छह विकेट से हराकर खिताब पर कब्जा जमाया। रणजी के इतिहास में मध्य प्रदेश पहली बार चैंपियन बनी है।
इस जीत की इबारत लिखने में टीम के कोच चंद्रकांत पंडित की भूमिका अहम रही है। आइए पंडित की उपलब्धियों के बारे में जानते हैं।
लेखा-जोखा
ऐसा रहा फाइनल मुकाबला
पहली पारी में मुंबई ने सरफराज खान के शतक (134) की मदद से 374 का स्कोर बनाया। जवाब में मध्य प्रदेश ने हिमांशु शर्मा (116), यश दुबे (133) और रजत पाटीदार (122) के शतकों की बदौलत 536 रन बनाकर 162 रनों की बढ़त हासिल की।
वहीं मुंबई ने अपनी दूसरी पारी में सुवेद पारकर के अर्धशतक (51) से 269 रन बनाए।
जीत के लिए मिले 108 रनों के लक्ष्य को मध्य प्रदेश ने चार विकेट खोकर हासिल किया।
इतिहास
जब कप्तान के रूप में खिताब से चूक गए थे पंडित
साल 1998-1999 में बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में रणजी ट्रॉफी के फाइनल में मध्य प्रदेश और कर्नाटक की टीमें आमने-सामने थी। मध्य प्रदेश की कप्तानी चंद्रकांत पंडित कर रहते थे, जो अपने क्रिकेटिंग करियर की ढलान पर थे। अपनी ज्यादातर क्रिकेट मुंबई से खेलने वाले पंडित ने मध्य प्रदेश की टीम को पहली बार फाइनल में पहुंचाकर पहले ही इतिहास रच दिया था। हालांकि, खिताबी मुकाबले में कर्नाटक की बाधा नहीं लांघ सके और 96 रनों से हार गए।
सपना
बतौर कोच पंडित ने अधूरे सपने को पूरा किया
ठीक 23 साल बाद, समय का पहिया घूमा। वही चंद्रकांत पंडित, वही चिन्नास्वामी स्टेडियम और वही मध्य प्रदेश की टीम, उसी ऐतिहासिक रणजी ट्रॉफी के फाइनल में आपस में मिल रही थे। इस बार पंडित कोच की भूमिका में अपने अधूरे सपने को पूरा करने आए थे। मध्य प्रदेश ने रणजी ट्रॉफी 2021-22 के फाइनल को जीतकर इतिहास रच दिया।
वह जो काम खिलाड़ी के तौर पर नहीं कर सके थे, कोच के रूप में कर दिखाया।
बयान
ट्रॉफी जीतने के बाद भावुक हो गए 'खड़ूस कोच'
यह कोई पहला मौका नहीं था कि पंडित की कोचिंग में टीम रणजी ट्रॉफी जीती हो लेकिन यह पहला मौका था, जब अपने कड़े अनुशासन के चलते खड़ूस कहे जाने वाले पंडित भावनाओं से भरे हुए नजर आए और उनकी आँखों में आंसू झलक रहे थे।
खिताब जीतने के बाद उन्होंने कहा, "23 साल पहले जो मैंने छोड़ा था उसकी शानदार यादें हैं। मेरे लिए यह एक आशीर्वाद की तरह है कि मैं यहां आया। ट्रॉफी जीतना शानदार है।"
कोचिंग
कोच के रूप में सफलता का पर्याय हैं पंडित
चंद्रकांत पंडित घरेलू क्रिकेट में कोच के रूप में सफलता का पर्याय बन चुके हैं। वह जिस भी टीम के कंधो पर अपना हाथ रख देते हैं, उसका चैंपियन बनना तय हो जाता है। यह (मध्य प्रदेश के साथ) कोच के तौर पर उनका छठा रणजी ट्रॉफी का खिताब है। वह इससे पहले मुंबई को तीन बार (2002-03, 2003-04 और 2015-16) और विदर्भ (2017-18 और 2018-19) को लगातार दो बार यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी जितवा चुके हैं।
आंकड़े
ऐसा रहा पंडित का क्रिकेटिंग करियर
विकेटकीपर बल्लेबाज रहे पंडित ने भारत की ओर से पांच टेस्ट खेले, जिसमें 24.42 की औसत से 171 रन बनाए।
वहीं 36 वनडे अंतरराष्ट्रीय में उन्होंने 20.71 की औसत से 290 रन बनाए।
वहीं घरेलू करियर की बात करें तो पंडित ने मुंबई, असम और मध्य प्रदेश की ओर से कुल 138 फर्स्ट क्लास मैचों में लगभग 49 की औसत से 8,209 रन बनाए। इस बीच उन्होंने 22 शतक भी लगाए।
वहीं 101 लिस्ट-A मैचों में 2,033 रन बनाए।