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ओलंपिक पदक विजेता पूर्व हॉकी खिलाड़ी और लिएंडर पेस के पिता वेस पेस का हुआ निधन 
वेस पेस का हुआ निधन (तस्वीर: एक्स/@Leander)

ओलंपिक पदक विजेता पूर्व हॉकी खिलाड़ी और लिएंडर पेस के पिता वेस पेस का हुआ निधन 

Aug 14, 2025
10:28 am

क्या है खबर?

पूर्व हॉकी खिलाड़ी और महान टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस के पिता डॉक्टर वेस पेस का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी बीमारी से पीड़ित थे। खबरों के मुताबिक, उन्हें मंगलवार की सुबह कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिलचस्प रूप से वेस भारत की ओलंपिक पदक विजेता हॉकी टीम के भी सदस्य रहे थे। आइए इस खबर पर एक नजर डालते हैं।

ओलंपिक पदक 

म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीते थे वेस

भारतीय हॉकी टीम ने 1972 में म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था और वेस भी उन वैश्विक खेलों में भारत के मिडफील्डर के तौर पर खेले थे। हॉकी के अलावा, उन्होंने डिवीजनल क्रिकेट, फुटबॉल और रग्बी खेलकर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया था। रग्बी के प्रति उनके जुनून ने उन्हें 1996 से 2002 तक भारतीय रग्बी फुटबॉल संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए प्रेरित किया था।

परिचय 

खेल चिकित्सक भी रहे थे वेस पेस 

वेस अपने हॉकी करियर के बाद खेल चिकित्सक भी रहे थे। उन्होंने एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) और BCCI के साथ डोपिंग रोधी शिक्षा कार्यक्रमों पर भी काम किया था। 2004 में एथेंस ओलंपिक वह भारतीय खिलाड़ियों के दल के साथ डॉक्टर के रूप में मौजूद थे। वेस कलकत्ता क्रिकेट और फुटबॉल क्लब के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके थे, जो दुनिया के सबसे पुराने खेल क्लबों में से एक है।

उपलब्धि 

पिता-पुत्र दोनों जीत चुके हैं ओलंपिक पदक 

वेस के अलावा लिएंडर भी ओलंपिक पदक जीतने में सफल रहे थे। महान टेनिस खिलाड़ी लिएंडर अटलांटा में 1996 के ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने फर्नांडो मेलिगानी को हराकर पुरुष एकल वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया था। वह पहलवान केडी जाधव के बाद व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बने थे। बता दें जाधव ने 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।

हॉकी इंडिया 

हॉकी इंडिया ने भी शोक व्यक्त किया 

वेस पेस की मृत्यु पर हॉकी इंडिया ने भी शोक व्यक्त किया। एक्स पर हॉकी इंडिया ने पोस्ट किया, 'एक सच्चे खेल आइकन, डॉक्टर वेस पेस का आज सुबह दुखद निधन हो गया। मैदान पर और मैदान के बाहर उनकी उपलब्धियों ने पीढ़ियों को प्रेरित किया। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य के रूप में, उन्होंने भारत को गौरवान्वित किया। उनकी विरासत अमर रहेगी।'