जानिए रणजी ट्रॉफी के नाम के पीछे की दिलचस्प कहानी
रणजी ट्रॉफी भारत का प्रतिष्ठित घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट है, जो पहली बार 1934-35 में खेला गया था। फर्स्ट-क्लास प्रारूप में खेला जाने वाला यह टूर्नामेंट इस बार 13 दिसंबर से शुरू हो गया है। यह इस ट्रॉफी का 88वां संस्करण है, जो लगभग 10 सप्ताह के लंबे अंतराल तक खेला जाना है। इस ऐतिहासिक ट्रॉफी के नाम की कहानी बड़ी दिलचस्प है, आइए इस पर विस्तार से नजर डालते हैं।
क्रिकेट में अपनी पकड़ जमाना चाहते थे पटियाला के राजकुमार
लॉर्ड विलिंगडन भारत के 22वें वायसराय थे, जिनका कार्यकाल 1931 से 1936 तक चला था। स्वतंत्रता से पूर्व इस समय पटियाला के राजकुमार भूपिंदर सिंह भारत के क्रिकेट में अपनी पकड़ जमाना चाहते थे। भूपिंदर के पास धन-सम्पदा की कोई कमी नहीं थी। वह भारत के पहले व्यक्ति थे जिनके पास हवाई विमान था। वह भारत में क्रिकेट में अपनी पैठ जमाने के लिए हर सम्भव कोशिश कर रहे थे।
वायसराय की मदद से भारत के कप्तान बने राजकुमार भूपिंदर
जब भारत ने 1932 में इंग्लैंड का दौरा किया था, उसके लिए भूपिंदर ने टीम का खर्चा उठाने की पेशकश तत्कालीन वायसराय विलिंगडन से की थी। इसके अलावा भूपिंदर ने अपने पटियाला के मैदान में भारतीय टीम के ट्रायल का प्रबंध भी किया था। वहीं उस दौरे के लिए विजयनगरम के राजकुमार विज्जी ने भी विलिंगडन से मिलकर भारतीय क्रिकेट बोर्ड को 50,000 रुपये की पेशकश की थी। अंततः विलिंगडन ने भूपिंदर को भारत की टीम का कप्तान बनाया था।
इंग्लैंड दौरे से पीछे हटे दोनों राजकुमार
स्वास्थ्य का हवाला देते हुए भूपिंदर ने उस टूर्नामेंट से अपना नाम वापस ले लिया था। वहीं, विज्जी भी उस दौरे पर नहीं गए थे। ऐसे में पोरबंदर के महाराज को उस दौरे के लिए भारत का कप्तान नियुक्त किया गया था। हालांकि, पोरबंदर के महाराज ने सीके नायडू को टीम का नया कप्तान बना दिया। नायडू की कप्तानी में 1932 में लॉर्ड्स में खेले गए टेस्ट में भारत को 158 रन से हार मिली थी।
एक बार फिर आमने-सामने हुए दोनों राजकुमार
भूपिंदर और विज्जी ने भारतीय क्रिकेट पर नियंत्रण हासिल करने के लिए एक अंतिम प्रयास किया। एक घरेलू टूर्नामेंट शुरू हो गया था, लेकिन उसका नाम और ट्रॉफी तय नहीं हुई थी। भूपिंदर ने इस टूर्नामेंट के लिए ट्रॉफी दान की और सुझाव दिया कि इसका नाम नवानगर के राजकुमार रणजीत सिंह के नाम पर रखा जाए। वहीं विज्जी ने भी टूर्नामेंट के लिए सोने की परत चढ़ी और लंदन में बनी एक ट्रॉफी दान की और अपना सुझाव दिया।
आखिरकार रणजी ट्रॉफी हुआ टूर्नामेंट का नाम
विज्जी ने सुझाव दिया कि रणजीत ने भारतीय क्रिकेट के लिए कुछ खास नहीं किया है और भारत के प्रमुख टूर्नामेंट का नाम उनके नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए बल्की तत्कालीन वायसराय के नाम पर 'विलिंगडन ट्रॉफी' रखा जाना चाहिए। हालांकि, आखिरकार रणजीत सिंह के नाम पर टूर्नामेंट का नाम रखा गया। बता दें 1872 को जन्में रणजीत ने भारत के लिए क्रिकेट नहीं खेला है। उन्होंने इंग्लैंड और ससेक्स के लिए क्रिकेट खेला है।
रणजी ट्रॉफी से जुड़ी अहम जानकारी
रणजी ट्रॉफी का पहला मैच 4 नवंबर, 1934 का मद्रास (अब चेन्नई) और मैसूर (अब कर्नाटक) के बीच खेला गया था। मुंबई इस टूर्नामेंट की सबसे सफल टीम है, जिसने 41 बार यह खिताब जीता है। इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन का रिकॉर्ड वसीम जाफर (12,038) के नाम दर्ज है जबकि सर्वाधिक विकेट राजिंदर गोयल (637) ने लिए हैं। यह टूर्नामेंट राउंड रॉबिन और नॉकऑउट प्रारूप में खेला जाता है।
रणजी ट्रॉफी 2022-23 के फॉर्मेट में हुआ है बदलाव
इस बार टूर्नामेंट के फॉर्मेट में बड़ा बदलाव किया गया है। टूर्नामेंट में भाग लेने वाली 38 टीमों को दो ग्रुप (एलीट और प्लेट) में विभाजित किया गया है, इसका मतलब ये हुआ कि इस बार दो अलग-अलग विजेता होंगे। एलीट ग्रुप में प्रत्येक आठ टीमों के चार ग्रुप (A से D) शामिल हैं। इस बीच प्लेट ग्रुप में कुल छह टीमें (बिहार, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय) होंगी।