पूर्व दिग्गज भारतीय हॉकी खिलाड़ी पीआर श्रीजेश को मिलेगा पद्म भूषण, कैसा रहा करियर?
क्या है खबर?
भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार 2025 के विजेताओं की घोषणा की।
इस सूची में खेल जगत से भारतीय हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर पीआर श्रीजेश को पद्म भूषण और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन सहित 4 खिलाड़ियों को को पद्मश्री देने का ऐलान किया गया है।
दिग्गज पूर्व भारतीय गोलकीपर श्रीजेश का करियर उपलब्धियों भरा रहा है। आइए उनके करियर पर एक नजर डालते हैं।
शुरुआत
किसान परिवार में हुआ था जन्म
श्रीजेश का जन्म 8 मई, 1988 को केरल के एर्नाकुलम जिले के किझाक्कमबलम गांव में एक किसान परिवार में हुआ था।
बचपन में उन्हें लंबी कूद और वॉलीबॉल जैसे खेलों में दिलचस्पी थी। 12 साल की उम्र में उन्होंने तिरुवनंतपुरम में जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल में दाखिला लिया और यहीं पर उनके कोच ने उन्हें हॉकी में गोलकीपिंग करने का सुझाव दिया।
हॉकी कोच जयकुमार की देखरेख में वह पेशेवर खिलाड़ी बन गए और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
डेब्यू
2006 में भारत के लिए किया डेब्यू
श्रीजेश ने साल 2006 में दक्षिण एशियाई खेलों के दौरान डेब्यू किया था।
2008 के जूनियर एशिया कप में भारत की जीत के बाद वह सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर बने थे।
6 साल तक वह भारतीय टीम का हिस्सा तो रहे, लेकिन उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले।
एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में 2 पेनल्टी स्ट्रोक बचाने के बाद वह 2011 से भारतीय टीम के नियमित सदस्य थे।
2013 के एशिया कप में उन्हें सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर चुना गया था। भारत दूसरे स्थान पर था।
चोट
2017 में हुए चोटिल
साल 2017 के अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच के दौरान एक खिलाड़ी से टकरा जाने पर श्रीजेश का दाहिना घुटना चोटिल हो गया था।
इस चोट के बाद यह माना गया कि उनका करियर खत्म हो गया है, लेकिन उन्होंने फिट होने के लिए जबरदस्त मेहनत की।
चोट से उबरने के बाद उन्होंने कहा था कि उन्होंने जिंदगी में दूसरी बार चलना सीखा है। उस समय कोच रोलेंट ओल्टमस भी इस चोट से घबरा गए थे।
ओलंपिक
ओलंपिक में जीते 2 पदक
2012 में श्रीजेश ने पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लिया था। उस संस्करण में भारत 12वें स्थान पर रहा था।
रियो में खेले गए 2016 ओलंपिक में भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थी। श्रीजेश ने उस टीम का नेतृत्व किया था।
इसके बाद 2021 में खेले गए टोक्यो ओलंपिक में भारत ने 41 साल कांस्य पदक जीता था, जिसमें श्रीजेश की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
उन्होंने 2024 ओलंपिक में फिर से कांस्य पदक जीतकर हॉकी से संन्यास ले लिया।
जानकारी
इन प्रतियोगिताओं में भी जीत चुके थे पदक
श्रीजेश ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में कुल 335 मैच खेले। उन्होंने भारतीय टीम के साथ राष्ट्रमंडल खेल में 2 रजत पदक जीते। इसके अलावा एशियाई खेलों में 2 स्वर्ण और 1 कांस्य पदक भी जीता। अब उनकी जर्सी नंबर-16 को रिटायर कर दिया गया है।
अन्य पदक
इन पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं श्रीजेश
हॉकी में महत्वपूर्ण योगदान के लिए श्रीजेश को भारत सरकार की ओर से 2015 में अर्जुन पुरस्कार और 2017 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था।
2021 में उन्हें भारत के सबसे बड़े खेल पुरस्कार 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न' से भी सम्मानित किया गया।
उन्हें 2021 के लिए 'वर्ल्ड गेम्स एथलीट ऑफ द ईयर' भी चुना गया था।
वह 2021 के लिए 'FIH गोलकीपर ऑफ द ईयर' भी चुने गए थे।
फिलहाल श्रीजेश जूनियर भारतीय हॉकी टीम के कोच हैं।