यूरोप में नहीं बदले व्हाट्सऐप के नियम; क्या भारत सरकार भी बनाएगी कानून?
क्या है खबर?
व्हाट्सऐप ने नई प्राइवेसी पॉलिसी की घोषणा की है, जिसमें कहा गया है कि यूजर्स का डाटा व्हाट्सऐप अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक को भेजेगा।
8 फरवरी, 2021 तक नई पॉलिसी स्वीकार ना करने वाले यूजर्स का व्हाट्सऐप अकाउंट डिलीट कर दिया जाएगा।
हालांकि, यह अनिवार्यता भारत के यूजर्स के साथ है और यूरोप के व्हाट्सऐप यूजर्स के साथ ऐसा नहीं होगा।
यूरोप में मौजूद डाटा सुरक्षा कानून की वजह से व्हाट्सऐप अपने यूजर्स का डाटा फेसबुक को नहीं भेज सकता।
अंतर
यूरोप और भारत के यूजर्स के लिए अलग पॉलिसी?
यूरोप में यूजर्स के डाटा की सुरक्षा और प्राइवेसी के लिए डाटा सुरक्षा कानून (डाटा प्रोटेक्शन लॉ) बनाया गया है।
व्हाट्सऐप के स्पोक्सपर्सन ने कहा है, "यूरोप में व्हाट्सऐप की डाटा-शेयरिंग प्रैक्टिस में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "व्हाट्सऐप यूरोपीय क्षेत्र के यूजर्स का डाटा फेसबुक के साथ शेयर नहीं करता।"
भारत में कोई डाटा सुरक्षा कानून ना होने की वजह से विदेशी कंपनियों के पास यूजर्स डाटा से जुड़ी कोई बाध्यता नहीं है।
कानून
यूरोप के कानून से बंधी है फेसबुक
यूरोप में यूजर्स की प्राइवेसी से जुड़े कानून बेहद सख्त हैं और फेसबुक को इनकी हद में रहकर काम करना होता है।
साल 2017 में यूजर्स का डाटा शेयर करने की वजह से फेसबुक पर 122 मिलियन डॉलर (करीब 891 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया गया था।
फेसबुक ने व्हाट्सऐप को खरीदते वक्त यूरोप की सरकार से कहा था कि वह व्हाट्सऐप डाटा का इस्तेमाल नहीं करेगी। फेसबुक ने ऐसा किया इसलिए उसे सजा के तौर पर जुर्माना भरना पड़ा।
नुकसान
भारत में कोई कानून न होने से बड़ा नुकसान
भारत में डाटा सुरक्षा से जुड़ा कोई कानून नहीं है इसलिए फेसबुक जैसी कंपनियां अपनी मर्जी से यूजर्स का डाटा जुटा सकती हैं।
फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी सेवाओं की सरकार के प्रति यूजर्स डाटा को लेकर जवाबदेही नहीं तय की जा सकती।
यूजर्स का डाटा जुटाने वाली कंपनियों को किसी तरह की सजा का डर नहीं है। यह डाटा जुटाए जाने के बाद किस तरह इस्तेमाल हो रहा है, इसपर भी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं रह जाता।
उम्मीद
ऐक्शन ले सकती है भारत सरकार
व्हाट्सऐप की पॉलिसी में बदलाव के बाद डाटा सुरक्षा कानून की मांग तेज हुई है और भारत सरकार हस्तक्षेप कर सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार बदलाव से जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर रही है।
नागरिकों के डाटा की प्राइवेसी के लिए 2019 के पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल जैसे सख्त कानून की जरूरत है, लेकिन यह बिल संसद में पास नहीं हो सका है।
सरकार इस बिल को पास कर फेसबुक जैसी कंपनियों की जवाबदेही तय कर सकती है।
मजबूरी
नई पॉलिसी से सहमत होना जरूरी
मौजूदा व्हाट्सऐप यूजर्स या तो नई प्राइवेसी पॉलिसी स्वीकार करें, या फिर अपने अकाउंट्स डिलीट कर दें।
नई पॉलिसी स्वीकार करना भारतीय यूजर्स के सामने रखी गई अनिवार्य शर्त है और देश में डाटा सुरक्षा कानून होने की स्थिति में ऐसा ना होता।
बता दें, भारत में व्हाट्सऐप के 40 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं इसलिए सरकार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में पहले ही डाटा सुरक्षा से जुड़े कानून बनाए जा चुके हैं।