60 हर्ट्ज और 90 हर्ट्ज: क्या होता है रिफ्रेश रेट और क्या हैं इसके फायदे-नुकसान?
क्या है खबर?
आजकल स्मार्टफोन खरीदते समय लोग सबसे पहले उसकी स्क्रीन पर ध्यान देते हैं कि वह कितने इंच की है और उसका पैनल कैसा है।
लोगों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कंपनियां स्क्रीन में LCD, AMOLED और OLED आदि तकनीकों का उपयोग करते हैं।
वहीं पिछले कुछ दिनों में लोगों के बीच रिफ्रेश रेट को काफी पसंद कर रहे हैं।
अगर आप जानना चाहते हैं कि रिफ्रेश रेट क्या है और इसके क्या फायदे होते हैं तो नीचे पढ़ें।
जानकारी
क्या है रिफ्रेश रेट?
स्क्रीन पर आप जो भी चित्र देखते हैं, उसके पीछे कई प्रक्रियाएं होती हैं। सभी प्रक्रियाएं ठीक होने पर ही चित्र स्क्रीन पर दिखाई देता है।
उपयोग होने वाली विभिन्न तकनीकों में से एक रेंडर है। रेंडर की प्रक्रिया को ही रिफ्रेश रेट कहते हैं।
बता दें कि एक सेकंड में फोटोज और ग्राफिक्स को जितनी बार रेंडर किया जा सकता है, वह उस डिस्प्ले का रिफ्रेश रेट होता है।
रिफ्रेश रेट को हर्ट्ज (Hz) में नापा जाता है।
प्रकार
60 हर्ट्ज, 90 हर्ट्ज और 120 हर्ट्ज होता है रिफ्रेश रेट
आमतौर पर रिफ्रेश रेट 60 हर्ट्ज, 90 हर्ट्ज और 120 हर्ट्ज होता है। साधारण टीवी और मोबाइल फोन में 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट का उपयोग होता है।
इसका मतलब है कि ग्राफिक्स या फोटोज को एक सेकंड में 60 बार रेंडर किया जाता है।
इसी तरह डिस्प्ले का रिफ्रेश रेट 90 हर्ट्ज तो फोटोज को दिखाने से पहले एक सेकंड में उसके फ्रेंम में 90 बार रेंडर और 120 हर्ट्ज होने पर फोटोज को 120 बार रेंडर किया जाता है।
हार्डवेयर
ज्यादा रिफ्रेश रेट के लिए चाहिए अच्छी क्षमता वाले हार्डवेयर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 90 हर्ट्स के रिफ्रेश रेट के लिए अच्छे प्रोसेसर और रैंडम एक्सेस मैमोरी (RAM) वाले मोबाइल फोन की जरूरत होती है।
वहीं 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट के लिए अच्छी क्षमता वाले हार्डवेयर की जरूरत होती है।
स्मार्टफोन्स का स्मूथ चलाना उसके फ्रेंम के रेंडर होने पर निर्भर करता है।
इसका मतलब यह है कि फ्रेंम जितना जल्दी रेंडर होगा उतना ही स्मार्टफोन स्मूथ चलेगा।
फायदा
क्या होता है फायदा?
जैसे कि ऊपर बताया गया है कि अधिक बार रेंडर होने से स्मार्टफोन स्मूथ चलता है। अच्छे रिफ्रेश रेट का यह एक सबसे बड़ा फायदा है।
इसके अलावा रिफ्रेश रेट के अन्य कई फायदे होते हैं। जिस स्मार्टफोन का रिफ्रेश रेट जितना ज्यादा होगा, उसके विजुअल उतने ही अच्छे दिखाई देंगे।
साथ ही स्क्रॉलिंग भी आसान होगी और वीडियो देखते समय प्ले बैक भी स्थिर रहेगा।
बड़े ग्राफिक्स वाले गेम खेलने में मजा आएगा।
नुकसान
कुछ नुकसान भी होता है
किसी चीज के फायदे होते हैं तो उसके कुछ नुकसान भी होते हैं। इसी तरह रिफ्रेश रेट के फायदे के साथ-साथ नुकसान भी हैं।
90 और 120 हर्ट्ज के रिफ्रेश रेट वाले स्मार्टफोन की बैटरी अन्य की अपेक्षा जल्दी खत्म होती है।
हालांकि, कुछ स्मार्टफोन्स में खास तकनीकी का उपयोग होता है। जिस कारण हाई रिफ्रेश रेट का बैटरी पर असर नहीं पड़ता है।
साथ ही कई ऐप्स और गेम्स 90 हर्ट्ज वाले स्मार्टफोन को सपोर्ट नहीं करते हैं।