क्वांटम कम्प्यूटिंग क्या है, जिसमें दुनियाभर की टेक कंपनियां कर रही हैं निवेश?
क्या है खबर?
क्वांटम कम्प्यूटिंग सुनने में किसी साइंस-फिक्शन कहानी जैसी लग सकती है, लेकिन यह अब हकीकत बन चुकी है। यह तकनीक पारंपरिक कंप्यूटरों से कई गुना तेज मानी जा रही है। दुनियाभर की बड़ी टेक कंपनियां जैसे अमेजन, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट इसमें तेजी से निवेश कर रही हैं। इन कंपनियों का मानना है कि आने वाले समय में क्वांटम कम्प्यूटिंग से विज्ञान, चिकित्सा और सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा।
काम
क्वांटम कम्प्यूटिंग कैसे काम करती है?
पारंपरिक कंप्यूटर बिट्स पर काम करते हैं, जो केवल 0 या 1 स्थिति में रहते हैं। जबकि क्वांटम कंप्यूटर 'क्यूबिट्स' पर काम करते हैं, जो एक साथ 0 और 1 दोनों स्थिति में रह सकते हैं। इसी वजह से ये बहुत तेज गणनाएं कर सकते हैं। यह तकनीक क्वांटम फिजिक्स के सिद्धांतों पर आधारित है और जटिल गणनाओं को कुछ मिनटों में पूरा करने की क्षमता रखती है, जो सामान्य कंप्यूटरों को वर्षों लग सकते हैं।
कंपनियां
बड़ी कंपनियों की दौड़
क्वांटम तकनीक में अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। अमेजन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, IBM और इंटेल जैसी कंपनियां अपने-अपने क्वांटम चिप्स पर काम कर रही हैं। एनवीडिया ने हाल ही में अपना पहला क्वांटम दिवस मनाया और नए निवेश की घोषणा की है। वहीं, अमेरिका सरकार भी आयनक्यू और रेगेटी जैसी क्वांटम-केंद्रित कंपनियों में निवेश की योजना बना रही है, जिससे इन कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है।
उपयोग
इसके उपयोग के क्षेत्र
क्वांटम कंप्यूटरों से उम्मीद की जाती है कि वे वैज्ञानिक शोध, दवा निर्माण, मौसम पूर्वानुमान, साइबर सुरक्षा और ऊर्जा बचत जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला देंगे। यह तकनीक बेहद जटिल समीकरणों को पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में बहुत कम समय में हल कर सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे नई दवाओं की खोज, जलवायु परिवर्तन की सटीक भविष्यवाणी और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे काम और भी आसान और तेज हो जाएंगे।
कदम
भविष्य की दिशा में कदम
क्वांटम कम्प्यूटिंग अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन इसके परिणामों की संभावनाएं बहुत बड़ी हैं। अगर इसका विकास सफल रहा, तो यह कंप्यूटिंग की परिभाषा ही बदल देगी और नई तकनीकी दिशा तय करेगी। दुनिया के वैज्ञानिक और टेक कंपनियां इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा तकनीकी कदम मान रहे हैं। माना जा रहा है कि भविष्य में यही तकनीक पूरी डिजिटल दुनिया की रफ्तार और क्षमताओं को तय करेगी।