भविष्य की तकनीकः क्या है 4-D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी, जिससे ऑटोमैटिक सही हो जाएंगी खराब चीजें
बदलते समय के साथ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। आने वाले समय में डाटा, सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुड़ी ऐसी तकनीकें आने वाली हैं जो हमारी जिंदगी को पूरी तरह बदलकर रख देगी। ऐसी ही एक नई तकनीक 4-D प्रिटिंग (4-D Printing) के बारे में आज हम बात करेंगे। हम आपको बताएंगे कि 4-D प्रिटिंग क्या है, इस पर अभी कितना काम हुआ है, इसके फायदे-नुकसान क्या होंगे और इसके सामने क्या-क्या चुनौतियां होंगी।
3-D प्रिंटिंग से कहीं आगे होगी 4-D प्रिंटिंग
एडिडास ने 2017 में 3-D प्रिंटर की मदद से एक जूता तैयार किया था। इसे फ्यूचरक्राफ्ट 4-D का नाम दिया गया था। इसके अलावा भी आपने 3-D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार कई चीजों के बारे में सुना होगा। अब जमाना बदल रहा है और यह टेक्नोलॉजी 4-D प्रिंटिंग की तरफ बढ़ रही है। मान लीजिए, आपके पास एक लिफाफे में 3-D प्रिंटेंड जूता पहुंचे और जैसे ही आप इसे धूप में रखो, यह पहनने लायक जूता बन जाए।
कैसे आपकी जिंदगी बदलेगी 4-D प्रिंटिंग
अब एक दूसरा उदाहरण देखते हैं। आपके पास 3-D प्रिंटेंड फूल पहुंचे और जैसे ही आप रोशनी में रखें, यह फूल खिल जाए। ऐसा होना अभी आपको असंभव लग रहा है, लेकिन असंभव कुछ नहीं होता। 4-D प्रिटिंग टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी में ऐसे ही असंभव लगने वाले काम करेगी। एक और उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आपके घर की पानी की पाइप लीक हो गई है। यह टेक्नोलॉजी आने के बाद यह पाइप खुद ठीक हो जाएगी।
MIT में हो रही रिसर्च
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के असिस्टेंट प्रोफेसर स्काईलर टिब्बिट्स इस फील्ड में काफी रिसर्च कर चुके हैं। वो 4-D टेक्नोलॉजी को आम लोगों के जीवन में काम आ सकने लायक बनाने के लिए सॉफ्टवेयर कंपनी ऑटोडेस्क के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
इस टेक्नोलॉजी की क्यों जरूरत है?
अभी कई ऐसी चीजें हैं जो मौसम के हिसाब से सिकुड़ या बढ़ सकते हैं। इसके अलावा कई चीजें ऐसी भी हैं जो खराब हो जाए उन्हें ठीक करने के लिए काफी मेहनत की जरूरत पड़ती है। जैसा हमने ऊपर बताया कि अगर जमीन में दबी पानी की पाइप लीक हो जाए तो उसे ठीक करने के लिए बहुत मेहनत लगेगी। वहीं अगर वहीं पाइप टेक्नोलॉजी की मदद से अपने-आप ठीक हो जाए तो कैसे रहेगा।
यह टेक्नोलॉजी काम कैसी करेगी?
स्काईलर अपने एक भाषण में बताते हैं कि इस टेक्नोलॉजी में ऐसे मटेरियल तैयार किए जाएंगे, जो अपने आसपास के माहौल के हिसाब से खुद को बदल लेंगे। इसके लिए उन्होंने एनर्जी सोर्स की बात कही है। वहीं अगर इन्हीं किसी दूसरे सोर्स से एनर्जी नहीं मिलेगी तो ये पैसिव एनर्जी जैसे गर्मी, रोशनी, कंपन, दबाव आदि की मदद से खुद की स्थिति बदल लेंगे। ये प्रोग्रामेबल मटैरियल होंगे, जो हमारी जिंदगी आसान कर देंगे।
अभी क्या चुनौतियां बाकी?
यह टेक्नोलॉजी अभी रिसर्च और डेवलेपमेंट के स्टेज में है और इस पर काफी काम होना बाकी है। ऐसे में यह आम जिंदगी में कितनी कामयाब होगी, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। साथ ही 4-D प्रिंटेड ऑब्जेक्ट्स को खुद के आकार बदलने के लिए गर्मी, रोशनी या पानी जैसे उत्प्रेरकों की जरूरत होगी। ऐसे में ऑब्जेक्ट्स की जरूरत के मुताबिक इनकी जरूरत, क्षमता और इनके फ्लो और पावर आदि को नियंत्रित करना काफी मुश्किल भरा काम होगा।