अंतरिक्ष में डाटा सेंटर बनने से क्या हो सकता है लाभ?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष की दौड़ अब ग्रहों से आगे बढ़कर डाटा की दिशा में मुड़ रही है। दुनिया में तेज और सुरक्षित डाटा स्टोरेज की मांग बढ़ने के बीच जेफ बेजोस, एलन मस्क और सुंदर पिचई जैसी बड़ी टेक कंपनियां अब अंतरिक्ष में डाटा सेंटर बनाने की योजना पर काम कर रही हैं। यह डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को धरती की सीमाओं से बाहर ले जाने की एक बड़ी कोशिश माना जा रहा है, जिससे डाटा प्रोसेसिंग का तरीका पूरी तरह बदल सकता है।
बदलाव
अंतरिक्ष में बने डाटा सेंटर से कैसे बदलेगी कनेक्टिविटी?
अंतरिक्ष में बने डाटा सेंटर का सबसे बड़ा फायदा तेज कनेक्टिविटी और कम लेटेंसी माना जा रहा है। ऑर्बिट में मौजूद सर्वर सैटेलाइट और धरती के बीच बिचौलिया बनकर दूर-दराज और कम सुविधाओं वाले क्षेत्रों तक डाटा तेजी से पहुंचा सकते हैं। इससे इंटरनेट स्पीड बेहतर होगी और कई ग्लोबल डिजिटल सेवाएं पहले से ज्यादा स्थिर चल सकेंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक देशों के बीच डिजिटल गैप को कम करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
सुरक्षा
प्राकृतिक आपदाओं और साइबर हमलों से मिल सकती है सुरक्षा
धरती पर बने डाटा सेंटर भूकंप, बाढ़ और साइबर हमलों से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं, जबकि अंतरिक्ष में मौजूद सेंटर ऐसी कई जोखिमों से काफी हद तक सुरक्षित रहते हैं। अंतरिक्ष इंस्टॉलेशन जमीन पर होने वाली कई तरह की तबाहियों से बच सकते हैं, जिससे महत्वपूर्ण डाटा हमेशा सुरक्षित और उपलब्ध रह सकता है। यही वजह है कि बेजोस और मस्क जैसी कंपनियां इसे भविष्य की डिजिटल सुरक्षा का बड़ा समाधान मान रही हैं।
चुनैतियां
वैश्विक पहुंच और नई चुनौतियों की चर्चा
ऑर्बिटल डाटा सेंटर उन देशों को भी तकनीकी ताकत दे सकते हैं, जिनके पास मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। इससे वे पारंपरिक विकास चरणों को पीछे छोड़कर सीधे हाई-टेक सुविधाओं तक पहुंच सकते हैं। हालांकि, इस तकनीक की चुनौतियां भी हैं, अंतरिक्ष में लॉन्चिंग की लागत, मेंटेनेंस, स्पेस डेब्रिस और ऑर्बिट में बढ़ती भीड़ को लेकर चिंताएं हैं। माना जा रहा है कि भविष्य का डिजिटल दबदबा उन कंपनियों के हाथ में होगा जो अंतरिक्ष डाटा तकनीक में बढ़त बना लेंगी।