
अंतरिक्ष में दर्पण सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना को लेकर वैज्ञानिक क्यों हैं चिंतित?
क्या है खबर?
अमेरिकी स्टार्टअप रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल 4,000 से ज्यादा दर्पण सैटेलाइट भेजने की योजना बना रही है। इनका लक्ष्य सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर परावर्तित कर मानव उपयोग के लिए प्राकृतिक रोशनी बढ़ाना है। पहला सैटेलाइट एरेन्डिल-1 अगले अप्रैल में लॉन्च होगा, जिसमें 18 मीटर चौड़ा बड़ा दर्पण लगाया गया है। कंपनी इसे मांग पर प्रकाश की अवधारणा कहती है, जिससे कृषि, ऊर्जा उत्पादन और अनुसंधान के क्षेत्र में मदद मिलेगी।
चिंता
वैज्ञानिक क्यों हैं चिंतित?
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ये दर्पण रात के आकाश की सुंदरता को प्रभावित कर सकते हैं। खगोलविदों का कहना है कि ये सैटेलाइट तारों से भी ज्यादा चमकीले होंगे, जिससे आकाश में असली तारों का अवलोकन मुश्किल हो जाएगा। इससे अंतरिक्ष अध्ययन पर असर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों को डर है कि ये प्रकाश प्रदूषण को बढ़ाकर कई मंद खगोलीय पिंडों को पूरी तरह छिपा सकते हैं।
असर
पर्यावरण पर संभावित असर
पारिस्थितिकीविदों ने कहा है कि आर्टिफिशियल रोशनी जानवरों और पक्षियों के जीवन चक्र को बाधित कर सकती है। कई प्रजातियां जो अंधेरे पर निर्भर हैं, उनका व्यवहार और प्रजनन पैटर्न प्रभावित हो सकता है। रात्रिकालीन पारिस्थितिकी तंत्र में इस तरह की रोशनी प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकती है और पर्यावरण में अव्यवस्था फैला सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का हस्तक्षेप जैविक श्रृंखलाओं में गंभीर और दीर्घकालिक असर डाल सकता है।
बहस
कंपनी का दावा और भविष्य की बहस
रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल का कहना है कि सुरक्षा और जिम्मेदारी उसकी पहली प्राथमिकता है। कंपनी का दावा है कि पहला परीक्षण सिर्फ 5 किलोमीटर के दायरे में सीमित रहेगा और दर्पण उपयोग में न होने पर झुक जाएगा। इसके साथ ही, कंपनी स्वतंत्र विशेषज्ञों से पर्यावरणीय मूल्यांकन कराने का भी वादा कर रही है, ताकि कोई नुकसान न हो। वैज्ञानिक इस परियोजना पर रोक और सख्त अंतरराष्ट्रीय नियमों की मांग कर रहे हैं।