
ISRO के संस्थापक सदस्य एकनाथ चिटनिस का निधन, जानिए उनकी उपलब्धियां
क्या है खबर?
प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रोफेसर एकनाथ वसंत चिटनिस का बुधवार (22 अक्टूबर) को पुणे में 100 साल की उम्र में निधन हो गया। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में एक प्रमुख व्यक्ति चिटनिस ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई की सलाह पर उन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान और एक्स-रे अनुसंधान के लिए अमेरिका स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) छोड़ दिया।
उपलब्धि
क्या रही हैं चिटनिस की उपलब्धियां?
चिटनिस ने ISRO के लिए तिरुवनंतपुरम के थुम्बा और आंध्र प्रदेश के तट पर श्रीहरिकोटा में लॉन्चपैड स्थानों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 1980 के दशक के मध्य में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए। उनका सबसे उल्लेखनीय योगदान 1975-76 में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) के माध्यम से था, जो एक शैक्षिक पहल थी। यह नासा के ATS-6 उपग्रह का उपयोग करके 6 राज्यों के 2,400 गांवों तक पहुंची।
शिक्षा
कहां-कहां की पढ़ाई?
कोल्हापुर में जन्मे चिटनिस ने अपनी स्कूली शिक्षा पुणे में ही प्राप्त की। उन्होंने रसायन विज्ञान और भौतिकी में स्नातक की उपाधि हासिल करने के बाद रेडियो संचार में डिप्लोमा किया। 2013 की शुरुआत तक 2 दशकों से अधिक समय तक सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में मीडिया और संचार विभाग में पढ़ाया। उन्होंने 1983 से 2010 तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के निदेशक मंडल में भी काम किया, 2 बार इसके अध्यक्ष के रूप में भी रहे।
सम्मान
मिल चुका है यह प्रतिष्ठित पुरस्कार
वे 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के सदस्य सचिव बने। यही संगठन बाद में ISRO बना। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (INSAT) श्रृंखला के उपग्रहों के डिजाइन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए काफी काम किया। विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में चिटनिस के विविध योगदानों को 1985 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।