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वैज्ञानिकों ने बनाया दुनिया का पहला वायरलेस OLED कॉन्टैक्ट लेंस, जानिए क्या है इसकी खासियत
वैज्ञानिकों ने बनाया दुनिया का पहला वायरलेस OLED कॉन्टैक्ट लेंस (तस्वीर: पिक्साबे)

वैज्ञानिकों ने बनाया दुनिया का पहला वायरलेस OLED कॉन्टैक्ट लेंस, जानिए क्या है इसकी खासियत

Aug 14, 2025
06:35 pm

क्या है खबर?

दक्षिण कोरिया के KAIST के वैज्ञानिकों ने ETRI और सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी बुंडांग हॉस्पिटल के साथ मिलकर रेटिना की जांच के लिए दुनिया का पहला वायरलेस OLED-आधारित कॉन्टैक्ट लेंस बनाया है। यह लेंस पारंपरिक भारी मशीनों और अंधेरे कमरों की जरूरत को खत्म कर देगा। यह तकनीक मौजूदा इलेक्ट्रोरेटिनोग्राफी (ERG) टेस्ट का आधुनिक और आसान विकल्प है, जिससे खासकर बच्चों और बुजुर्ग मरीजों को अधिक सुविधा और आराम मिल सकेगा।

खासियतें 

लेंस की तकनीकी खासियतें 

इस खास लेंस में केवल 12.5 माइक्रोन मोटा अल्ट्राथिन OLED डिस्प्ले लगा है, जो रेटिना पर समान रोशनी डालकर सटीक रीडिंग देता है। इसमें एक छोटा वायरलेस एंटीना है और इसे स्लीप मास्क कंट्रोलर के साथ जोड़ा गया है। यह कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल किट स्मार्टफोन से भी सिंक हो सकती है। इसकी मदद से डॉक्टर रोशनी वाले खुले क्लिनिक में भी बिना किसी जटिल सेटअप के रेटिना की जांच आसानी से कर सकते हैं।

फायदे

मरीजों के लिए फायदे

जानवरों पर किए गए परीक्षणों में यह लेंस सुरक्षित, कम गर्मी पैदा करने वाला और नमी में भी अच्छा प्रदर्शन करने वाला पाया गया। यह शुरुआती चरण में डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी बीमारियों की पहचान में मदद कर सकता है, जो अक्सर देर से पता चलती हैं। इसका हल्का और आरामदायक डिजाइन मरीजों को लंबे समय तक पहनने की सुविधा देता है, जिससे समय-समय पर जांच करवाना आसान और सुविधाजनक हो जाता है।

संभावनाएं

भविष्य की संभावनाएं

यह तकनीक केवल निदान तक सीमित नहीं है। भविष्य में, ऐसे लेंस का उपयोग निकट दृष्टि दोष के इलाज, आंखों की सेहत की निगरानी, AR अनुभव और प्रकाश-आधारित थेरेपी में भी किया जा सकता है। इसका छोटा और पतला डिजाइन इसे आरामदायक बनाता है, जिससे यह रोजमर्रा के इस्तेमाल में भी बाधा नहीं डालता। यह एक छोटी सी तकनीक है, लेकिन स्मार्ट हेल्थकेयर का बड़ा बदलाव साबित हो सकती है।