वैज्ञानिकों ने चावल के दाने से भी छोटा मस्तिष्क प्रत्यारोपण बनाया, जानिए कैसे करता है काम
क्या है खबर?
वैज्ञानिकों ने चावल के दाने से भी छोटा एक ब्रेन इम्प्लांट विकसित किया है, जो न्यूरो टेक्नोलॉजी के भविष्य को नया आकार देने वाली एक बड़ी उपलब्धि है। माइक्रोस्केल ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक टेदरलेस इलेक्ट्रोड (MOTE) नामक यह टूल मौजूदा इम्प्लांट्स की तुलना में काफी छोटा है और इसे शरीर के अन्य नाजुक अंगों में भी काम करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। यह लगभग एक मानव बाल जितना मोटा है, जिसकी चौड़ाई 70 माइक्रोन और लगभग 300 माइक्रोन लंबा है।
तरीका
कैसे काम करता है यह इम्पलांट?
कॉर्नेल विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और सह-लेखक एलोशा मोलनार ने कहा, "यह सबसे छोटा न्यूरल इम्प्लांट है, जो मस्तिष्क में विद्युत गतिविधि को माप सकता है और उसे वायरलेस तरीके से प्रसारित कर सकता है।" यह इम्प्लांट तंत्रिका संकेतों को इंफ्रारेड प्रकाश के स्पंदनों को इनकोड करके काम करता है, जो फिर मस्तिष्क के ऊतकों और हड्डियों से होते हुए एक रिसीवर तक पहुंचते हैं। मोलनार को इस कॉन्सेप्ट को साकार करने में लगभग 2 दशक लगे।
विकसित
ऐसे बनाया गया है यह प्रत्यारोपण
एल्युमीनियम गैलियम आर्सेनाइड से बने एक अर्धचालक डायोड का उपयोग करके विकसित MOTE डाटा संचारित करने के लिए प्रकाश उत्सर्जित कर सकता है और ऊर्जा के लिए प्रकाश ऊर्जा का संचयन भी कर सकता है। यह सिस्टम मानक माइक्रोचिप्स जैसी ही ट्रांसमिशन विधियों का उपयोग करती है, जिसमें एक ऑप्टिकल एनकोडर और एक लो-नॉइस एम्पलीफायर की सहायता ली जाती है। डाटा पल्स पोजिशन मॉड्यूलेशन का उपयोग करके भेजा जाता है। इस उपयोग उपग्रह ऑप्टिकल संचार में भी किया जाता है।
प्रयोग
इम्प्लांट का कहां-कहां किया गया प्रयोग?
मोलनार ने बताया कि यह इम्प्लांट बहुत कम बिजली की खपत करते हुए सफलतापूर्वक डाटा संचारित कर सकता है। इस उपकरण का परीक्षण सबसे पहले प्रयोगशाला में विकसित कोशिका संवर्धन में और उसके बाद चूहों के बैरल कॉर्टेक्स में प्रत्यारोपित किया। मस्तिष्क का वह क्षेत्र, जो मूंछों से प्राप्त संवेदी इनपुट को संसाधित करने के लिए जिम्मेदार है। इसने सक्रिय और स्वस्थ दोनों चूहों में एक वर्ष से भी अधिक समय तक लगातार मस्तिष्क गतिविधि और सिनैप्टिक पैटर्न रिकॉर्ड किए।