न रिमोट चाहिए, न चाहिए बटन, सिर्फ दिमाग के इशारों पर चलेगा टीवी
सैमसंग अब एक ऐसा टीवी लाने की तैयारी कर रही है जो आपके दिमाग के इशारे पर चलेगा। इस टीवी को चलाने के लिए किसी रिमोट या बटन की नहीं बल्कि आपके दिमाग के इशारे की जरूरत होगी। कंपनी ने इस स्मार्ट टीवी का प्रोटोटाइप तैयार किया है जो दिमाग के सहारे पर चलेगा। इस प्रोटोटाइप को पिछले हफ्ते सैन फ्रांसिस्को में हुई सैमसंग डेवलपर्स कॉन्फ्रैंस में पेश किया गया। बता दें यह कंपनी का दूसरा प्रोटोटाइप है।
अगले साल शुरू होगी टेस्टिंग
सैमसंग ने कहा कि यह तकनीक दिव्यांग लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। शारीरिक रूप से अशक्त लोग सिर्फ अपने दिमाग का इस्तेमाल कर इस टीवी को इस्तेमाल कर सकेंगे। ये स्मार्ट टीवी बिना कुछ कहे या किए दिमाग के इशारे पर चलेंगे। अगले साल स्विट्जरलैंड के अस्पतालों में इसकी टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। साथ ही कंपनी इन टीवी को स्मार्ट होम हब्स के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बना रही है।
तीन महीने से चल रहा काम
सैमसंग की स्विट्जरलैंड इकाई ने इस तकनीक पर लगभग तीन महीने पहले काम शुरू किया था। इसे कंपनी ने 'प्रोजेक्ट पोंटिस' नाम दिया था। इसके लिए सैमसंग ने स्विट्जरलैंड के सेंटर ऑफ न्यूरोप्रोस्थेटिक 'इकोल पॉलिटेक्निक फेडरल डे लउसाने (ईपीएफएल)' के साथ साझेदारी की। इस प्रोजेक्ट के तहत क्वाड्रिप्लेजिया जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को लिए टीवी सेट बनाए जाएंगे। सैमसंग और ईपीएफएल, दोनों ऐसा सिस्टम बनाने की कोशिश में है जो सिर्फ दिमाग के सिग्नल पर काम करें।
अगले साल भी होगा काम
सैमसंग इलेक्ट्रोनिक्स के पब्लिक अफेयर के प्रमुख मार्टिन कैथरिनर ने बताया कि मौजूदा हार्डवेयर की कुछ सीमाएं हैं। अभी सेंसर हेलमेट के लिए सिर पर जेल लगाना पड़ता है। बहुत से लोग ऐसा नहीं करना चाहेंगे। अब सैमसंग अगले साल की पहली तिमाही में इस प्रोटोटाइप पर और काम करेगी। इसके बाद कंपनी अस्पतालों में इसकी टेस्टिंग शुरू करेगी। मार्टिन ने बताया कि यहां हम देखेंगे कि लोग हमारे इस प्रोटोटाइप को कैसे लेते हैं।
ऐसे काम करती है तकनीक
इस प्रोटोटाइप में सैमसंग 64 सेंसर लगे हैडसेट से एक आई ट्रैकर पर देख रहे व्यक्ति के दिमाग के व्यवहार का सैंपल लेती है। इसके बाद हेडसेट को टीवी के सामने रखे एक कंप्यूटर से कनेक्ट किया जाता है। मौजूदा प्रोटोटाइप व्यक्ति की आंखों को ट्रैक कर पता लगाता है कि वह कौन सा चैनल देख रहा है। इसके आधार पर उन वीडियो का प्रोफाइल बनाया जाता है, जो व्यक्ति ज्यादा लंबे समय तक देखता है।