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क्या है खबर?
ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI हाल ही में अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी गूगल का क्लाउड सौदे में साथ दिया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, OpenAI अब गूगल क्लाउड की मदद से अपनी कंप्यूटिंग जरूरतें पूरी करेगा। यह समझौता मई में तय हुआ और यह दिखाता है कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल को चलाने और प्रशिक्षित करने के लिए बहुत अधिक कंप्यूटिंग क्षमता की जरूरत है। OpenAI पहले केवल माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर थी।
रणनीति
माइक्रोसॉफ्ट से दूरी बनाना चाहती है OpenAI
OpenAI अब केवल माइक्रोसॉफ्ट पर निर्भर नहीं रहना चाहती है, इसलिए वह अलग-अलग क्लाउड कंपनियों से जुड़ रही है। गूगल के साथ यह समझौता इसी रणनीति का हिस्सा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा गूगल क्लाउड के लिए एक बड़ी जीत है, जो अब OpenAI को ट्रेनिंग और मॉडल चलाने के लिए ज्यादा कंप्यूटिंग ताकत देगा। वहीं, ChatGPT खुद गूगल के सर्च कारोबार के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।
वजह
गूगल और OpenAI ने क्यों किया सहयोग?
गूगल और OpenAI के बीच महीनों से बातचीत चल रही थी, लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के साथ OpenAI के पुराने अनुबंध के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। अब जब माइक्रोसॉफ्ट और OpenAI अपनी शर्तें फिर से तय कर रहे हैं, तब गूगल को यह मौका मिला है। गूगल अब अपने टेंसर प्रोसेसिंग यूनिट्स (TPUs) को बाहरी कंपनियों के लिए उपलब्ध करा रही है, जिससे OpenAI जैसे ग्राहक अब गूगल की सेवाएं ले पा रहे हैं।
प्रतिस्पर्धा
बढ़ती मांग और बाजार की प्रतिस्पर्धा
OpenAI का यह फैसला बताता है कि AI की दुनिया में कंप्यूटिंग संसाधनों की मांग कितनी तेजी से बढ़ रही है। OpenAI पहले ही कोरवीव और ओरेकल जैसी कंपनियों से भी समझौते कर चुकी है। गूगल का क्लाउड अब अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट को टक्कर दे रहा है। हालांकि, गूगल के पास अभी क्षमता की कमी है। ChatGPT अब गूगल के AI चैटबॉट से आगे निकल चुका है, लेकिन गूगल के CEO सुंदर पिचई को OpenAI से सीधा खतरा नहीं लगता।