
नीली नहीं, पहले इस रंग की थी हमारी पृथ्वी
क्या है खबर?
आज हम पृथ्वी को सौरमंडल में मौजूद नीले ग्रह के रूप में जानते हैं, लेकिन यह हमेशा ऐसा नहीं था। वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 3.5 अरब साल पहले पृथ्वी का रंग बैंगनी या गुलाबी था। भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक शिलादित्य दास शर्मा के अनुसार, उस समय जीवन रेटिनल नामक अणु से ऊर्जा लेता था, जो लाल और नीली रोशनी परावर्तित करता था। इसलिए पृथ्वी बैंगनी या गुलाबी दिखाई देती थी।
रंग
कैसे मिला पृथ्वी को नीला और हरा रंग?
समय के साथ क्लोरोफिल नाम का एक खास अणु इस्तेमाल करने वाले सूक्ष्मजीव ज्यादा ताकतवर हो गए। यह अणु नीली और लाल रोशनी को सोख लेता है और हरी रोशनी को वापस भेजता है, इसलिए आज हमें पेड़-पौधे हरे दिखाई देते हैं और समुद्र का पानी नीला दिखता है। पहले रेटिनल वाले जीव ज्यादा थे, लेकिन क्लोरोफिल वाले जीव ज्यादा बेहतर निकले। उन्होंने धीरे-धीरे रेटिनल वाले जीवों की जगह ले ली और पृथ्वी का रंग भी बदल गया।
गुलाबी रंग
गुलाबी रंग की पुष्टि कैसे हुई?
वैज्ञानिकों को सहारा रेगिस्तान में मिले पुराने जीवाश्मों में गुलाबी रंग मिला है। यह रंग साइनोबैक्टीरिया नाम के जीवों से जुड़ा है, जो लगभग 65 करोड़ साल पहले समुद्रों में रहते थे। इन जीवों के अंदर एक खास रंगद्रव्य था, जो पानी में मिलकर गुलाबी रंग छोड़ता था। वैज्ञानिकों का मानना है कि उस समय समुद्र और झीलों का पानी गुलाबी दिखता था। बाद में जैसे-जैसे समय बदला, वैसे-वैसे पृथ्वी का रंग भी बदल गया।