नासा बना रही नया रॉकेट, केवल 2 महीने में पूरी होगी मंगल ग्रह की यात्रा
अंतरिक्ष एजेंसी नासा अंतरिक्ष यात्रियों को 2030 तक मंगल ग्रह पर भेजना चाहती है। मौजूदा रॉकेट तकनीक की मदद से मंगल ग्रह की यात्रा को पूरा करना कई साल लंबी प्रक्रिया हो जाएगी। यात्रा में लगने वाले इस समय को कम करने के लिए नासा ने हाल ही में एक नए प्रकार के रॉकेट में निवेश किया है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को केवल 2 महीने के कम समय में ही मंगल पर पहुंचा सकता है।
नासा ने कितना किया निवेश?
रिपोर्ट के अनुसार, नासा ने नए रॉकेट सिस्टम में अभी तक 7.25 लाख डॉलर (लगभग 6 करोड़ रुपये) का निवेश किया है। यह रॉकेट मंगल ग्रह पर मनुष्यों को भेजने के हमारे रास्ते में आने वाली प्रमुख बाधाओं में से एक 'समय' को हल कर सकता है। वर्तमान तकनीक के साथ मंगल ग्रह जाने और आने में लगभग 2 साल लगेंगे। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष यान में इतने समय तक रहना उनके स्वास्थ्य पर खतरा बन सकता है।
कैसे अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर खतरा?
मंगल ग्रह की यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष विकिरण यकीनन सबसे बड़ा खतरा है। वे उच्च स्तर के सौर और ब्रह्मांडीय विकिरण, शून्य-गुरुत्वाकर्षण के हानिकारक प्रभावों के संपर्क में रहेंगे। नासा के अनुसार, अंतरिक्ष में केवल 6 महीने बिताने वाले अंतरिक्ष यात्री लगभग 1,000 छाती एक्स-रे के बराबर विकिरण के संपर्क में आते हैं और इससे उन्हें कैंसर, तंत्रिका तंत्र की क्षति, हड्डियों की क्षति और हृदय रोग का खतरा होता है।
कब तक तैयार होगा रॉकेट?
हॉवे इंडस्ट्रीज नासा के साथ मिलकर पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट (PPR) विकसित कर रही है। नया रॉकेट मंगल पर जाना और आना केवल 2 महीने में कर सकता है। यह PPR 5,000 सेकंड के विशिष्ट आवेग पर 10,000 न्यूटन का थ्रस्ट उत्पन्न करता है। 4-6 यात्रियों को ले जाने वाला एक PPR अंतरिक्ष यान लगभग 1.6 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की यात्रा कर सकता है। मंगल ग्रह के लिए रॉकेट को तैयार होने में अभी 2 दशक से अधिक समय लगेगा।