फ्रैंक रुबियो ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में बिताए 371 दिन, बनाया नया रिकॉर्ड
अमेरिकी सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल और नासा के अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक रुबियो का अंतरिक्ष का ऐतिहासिक कार्यकाल आज 27 सितंबर, 2023 को समाप्त हो रहा है। यह मिशन सितंबर, 2022 में लॉन्च किया गया था। अब वह आज ही रूसी सोयुज अंतरिक्ष यान में सवार 2 रूसी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) से धरती पर लैंड करेंगे। अंतरिक्ष यान कजाकिस्तान में भारतीय समयानुसार लगभग शाम 4:47 बजे लैंड करेगा।
अंतरिक्ष यात्री के लिए 18,000 लोगों के बीच चुने गए थे रुबियो
ISS पर रुबियो का मिशन लगभग 371 दिनों तक चला। इतने लंबे समय तक चले रुबियो के मिशन ने अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री द्वारा सबसे लंबे समय अंतरिक्ष में रहने के नासा के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। इससे पहले मार्क वंदे हेई ने 355 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाया था। वर्ष 2017 में अंतरिक्ष यात्री के लिए 18,000 लोगों ने आवेदन किया था। इनमें 10 लोग चुने गए थे, जिनमें एक रुबियो थे।
बढ़ा दिया गया था रुबियो का मिशन
रुबियो एक सक्रिय सेना चिकित्सक और नासा अंतरिक्ष यात्री हैं। ISS पर रुबियो का मिशन पहले 6 महीने के लिए निर्धारित था। बाद में अंतरिक्ष यान पर कूलेंट रिसाव की खोज और उसके बाद की जांच के लिए उनके मिशन को बढ़ा दिया गया था। रुबियो की अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के बीच एक आपसी समझौते के तहत हुई। ये समझौता वर्ष 2022 में क्रू-एक्सचेंज एग्रीमेंट का हिस्सा था।
रूस के तनाव के बाद भी नासा ने साझेदारी पर दिया जोर
इस समझौते के तहत नासा ने रुबियो को रूस के सोयुज MS-22 अंतरिक्ष यान के जरिए ISS पर भेजा। रोस्कोस्मोस ने अपने अंतरिक्ष यात्री अन्ना किकिना को स्पेस-X के क्रू ड्रैगन मिशन के जरिए यात्रा कराई। स्पेस-X क्रू ड्रैगन मिशन अक्टूबर 2022 में लॉन्च हुआ था और 11 मार्च को वापस आया था। यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बाद भी नासा रोस्कोस्मोस के साथ अपनी साझेदारी के महत्व पर जोर दिया।
न्यूजबाइट्स प्लस
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती से ऊपर, अंतरिक्ष में वह जगह है, जहां रुककर वैज्ञानिक रिसर्च और प्रयोग करते हैं। उनके रहने के लिए ISS में स्लीपिंग क्वार्टर, बाथरूम और अन्य व्यवस्था हैं। ISS पर एक वक्त में आमतौर पर 7 क्रू रहते हैं। इनकी संख्या बढ़ भी सकती है। वर्ष 1998 से लेकर 2011 तक ISS का निर्माण हुआ है। इसे बनाने की लागत लगभग 12 लाख करोड़ रुपये आई थी। ISS वर्ष 2030 में रिटायर हो जाएगा।