
वैज्ञानिकों ने की भ्रूण के दोषों से जुड़े 6 जीनों की पहचान, जानिए क्या होगा फायदा
क्या है खबर?
मुंबई के वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क विकृति और जन्मजात हृदय दोष सहित भ्रूण में गंभीर असामान्यताओं से जुड़े 6 नए जीनों की पहचान की है। यह माता-पिता को इन स्थितियों वाले बच्चों के पालन-पोषण के दौरान निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। यह खोज भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय प्रजनन स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (ICMR-NIRRCH) के वैज्ञानिकों ने परेल स्थित नौरोसजी वाडिया मैटरनिटी अस्पताल के सहयोग से की है। ये निष्कर्ष 2024 तक 3 साल के अध्ययन पर आधारित हैं।
शुरुआत
ऐसे हुई थी शोध की शुरुआत
जून में इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित और अगस्त से उपलब्ध इस अध्ययन में शोध दल ने अल्ट्रासाउंड स्कैन में असामान्यताएं सामने आने के बाद 44 चिकित्सकीय रूप से समाप्त भ्रूणों की जांच की। मानक आनुवंशिक परीक्षण ने 4 मामलों में ट्राइसॉमी 21 (डाउन सिंड्रोम) और ट्राइसॉमी 13 (पटाऊ सिंड्रोम) जैसी ज्ञात गुणसूत्रीय स्थितियों की पुष्टि की। शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसे नियमित परीक्षणों के बाद भी कई असामान्यताएं अक्सर अस्पष्ट रह जाती हैं।
जीन
इन जीनों की हुई पहचान
आगे की जांच के लिए वैज्ञानिकों ने संपूर्ण-एक्सोम अनुक्रमण (WES) का उपयोग किया, जो भ्रूण के ऊतकों में हजारों जीनों को स्कैन करता है। इसके माध्यम से 'कैंडिडेट जीन' कहे जाने वाले 6 नए जीनों- RUNX2, PALLD, KMT2D, FBN2, CPLANE1 और KDM1A की पहचान की गई। ये सभी स्पाइनल डिसरैफिज्म, होलोप्रोसेन्सेफाली, डैंडी-वाकर विकृति और जन्मजात हृदय रोग जैसी मस्तिष्क संबंधी विसंगतियों से जुड़े हैं। PALLD को पहली बार मनुष्यों में न्यूरल ट्यूब या मस्तिष्क संबंधी दोषों से जोड़ा गया था।
फायदा
गंभीर बीमारियों का इलाज करने में मिलेगी मदद
शोध का नेतृत्व करने वाले आनुवंशिकीविद् डॉ. शैलेश पांडे ने बताया कि ये 6 नए संबद्ध जीन उन स्थितियों पर प्रकाश डालते हैं, जिनका निदान नहीं हो पाता। आगे कहा, "ऐसी गर्भावस्थाएं अक्सर प्राकृतिक रूप से समाप्त हो जाती हैं, क्योंकि भ्रूण जीवित नहीं रह पाता।" शोधकर्ताओं ने जोर दिया कि गर्भावस्था जारी रखने से गंभीर असामान्यताएं हो सकती हैं, लेकिन समय पर पता लगाने से परिवारों की परेशानी को कम किया जा सकता है।