मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के जनक माने जाते हैं लाइनस पॉलिंग, जानें उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें
हमारे शरीर का लगभग 99 प्रतिशत हिस्सा हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के परमाणुओं से मिलकर बना है और ये परमाणु केमिकल बॉन्डिंग से जुड़े होते हैं। हम सब ने इसके बारे में स्कूल में पढ़ा है, लेकिन क्या आपके दिमाग में कभी ख्याल आया कि ये केमिकल बॉन्ड्स कैसे काम करते हैं? वैज्ञानिक लाइनस पॉलिंग ने इस सवाल का जबाव देते हुए केमिकल बॉन्ड्स के व्यवहार को समझाया। आइए जानते हैं पॉलिंग से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
कौन हैं लाइनस पॉलिंग?
लाइनस पॉलिंग एक अमेरिकी केमिस्ट, बायो-केमिस्ट, केमिकल इंजीनियर, लेखक और शिक्षक थे, जिन्होंने 1,200 से अधिक पेपर और पुस्तकें प्रकाशित कीं। इनमें से लगभग 850 पुस्तकें वैज्ञानिक विषयों से जुड़ी हुई हैं। फ्रांसिस क्रिक और दूसरे वैज्ञानिकों ने पॉलिंग को मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, क्वॉन्टम केमेस्ट्री और मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स (आनुवंशिकी) के संस्थापक के रूप में से स्वीकार किया है। पॉलिंग ने अपने रिसर्च के माध्यम से केमिकल बॉन्डिंग और केमिकल संरचना से जुड़ी हमारी समझ को बढ़ाया है।
बचपन से ही केमेस्ट्री में थी रुचि
लाइनस कार्ल पॉलिंग का जन्म 28 फरवरी, 1901 को संयुक्त राज्य अमेरिका के पोर्टलैंड, ओरेगन में हुआ था। पॉलिंग, हरमन पॉलिंग और लुसी इसाबेल डार्लिंग की पहली संतान थे। इनके पिता फार्मास्युटिकल सेल्समैन थे। जब पॉलिंग सिर्फ नौ साल के थे, तभी उनके पिता हरमन की 33 साल की उम्र में अल्सर से मृत्यु हो गई। पॉलिंग को बचपन से ही केमेस्ट्री में रुचि थी, वह लैब उपकरण इकट्ठा करके घर पर ही केमेस्ट्री के प्रयोग किया करते थे।
फिजिकल केमेस्ट्री और मैथमेटिकल फिजिक्स में PhD
लाइनस पॉलिंग की शुरुआती शिक्षा वाशिंगटन हाई स्कूल में हुई थी। 15 साल की उम्र तक लाइनस के पास कॉलेज जाने के लिए पर्याप्त स्कूल क्रेडिट थे। 17 साल की उम्र में इन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। कॉलेज फीस के लिए पॉलिंग ने दूध पहुंचाने वाले, शिपयार्ड मजदूर और मशीनिस्ट की तरह काम भी किया। इन्होंने 1925 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक) से फिजिकल केमेस्ट्री और मैथमेटिकल फिजिक्स में PhD की।
18 साल की उम्र में बने केमेस्ट्री प्रशिक्षक
पॉलिंग एक मेधावी छात्र थे इसलिए कॉलेज ने उन्हें सहायक केमेस्ट्री प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त करके उनकी शिक्षा और उनकी बीमार मां का सहयोग करने में मदद की। उस समय वह केवल 18 वर्ष के थे, बावजूद इसके उन्होंने सप्ताह में 40 घंटे काम करने और फिर पढ़ाई करने जैसी चुनौती स्वीकार की। इसी कॉलेज में पॉलिंग अपनी पत्नी एवा हेलेन से मिले, जो उस समय उनकी छात्रा थीं।
परमाणु-बम परीक्षणों का किया था विरोध
1950 के दशक के दौरान पॉलिंग और उनकी पत्नी ने परमाणु हथियारों के परीक्षण रोकने के लिए सरकार का विरोध किया। इसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया। 1958 में उन्होंने इस परीक्षण पर प्रतिबंध के लिए संयुक्त राष्ट्र में अपील की, जिसपर 44 देशों के 9,235 वैज्ञानिकों ने हस्ताक्षर कर अपनी सहमति जताई। पॉलिंग परमाणु युद्ध और इसके परीक्षण से होने वाले दुष्प्रभावों के खिलाफ थे, जिसके बारे में पॉलिंग ने अपनी पुस्तक 'नो मोर वॉर' में बताया है।
केमेस्ट्री में दिया बड़ा योगदान
पॉलिंग की रेजोनेंस, ऑर्बिट हाइब्रिडाइजेशन, वैलेंस बॉन्ड सिद्धांत और इलेक्ट्रोनगेटिविटी से जुड़ी आवधारणाओं ने केमेस्ट्री को समझाने के नजरिए को बदल दिया। 1939 में उनकी ऐतिहासिक पुस्तक, 'द नेचर ऑफ द केमिकल बॉन्ड एंड द स्ट्रक्चर ऑफ मॉलूक्यूल्स एंड क्रिस्टल्स' में उनकी सभी खोजों को रखा गया। कई सालों तक नए केमिस्ट्स को पढ़ाने के बाद, पॉलिंग ने अपनी पाठ्यपुस्तक- जनरल केमेस्ट्री (1947) प्रकाशित की, जिसने वैश्विक स्तर पर केमेस्ट्री को पढ़ाए जाने के तरीके को बदल दिया।
कौन से केमिकल बॉन्ड्स बनाते हैं परमाणु?
पॉलिंग ने परमाणुओं और अणुओं के इलेक्ट्रोनगेटिविटी से संबंध और इसके चुंबकीय गुणों के बारे में काफी अध्ययन किया। लाइनस पॉलिंग ने यह भी बताया की परमाणु तीन तरह के केमिकल बॉन्ड्स बनाते हैं। इनमें आयनिक, कोवैलेंट और एक ऐसा बॉन्ड है जो इन दोनों के बीच में आता है, जिसे इंटरमीडिएट बॉन्ड कहा गया। इन इंटरमीडिएट बॉन्ड्स से जुड़े परमाणुओं को वैल्यू देने के लिए पॉलिंग ने पहला इलेक्ट्रोनगेटिविटी स्केल भी विकसित किया।
न्यूजबाइट्स प्लस
केमिकल बॉन्ड परमाणुओं, आयनों या अणुओं के बीच एक स्थायी आकर्षण है जो केमिकल कंपाउंड्स को बनाने में सहायक होता है। ये बॉन्ड्स आयनों के आयनिक बॉन्ड या इलेक्ट्रॉनों के कोवैलेंट बॉन्ड में लगने वाले इलेक्ट्रोस्टैटिक बल के परिणामस्वरूप बनते हैं।
मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के क्षेत्र में भी किया है काम
पॉलिंग को बायोलॉजिकल मॉलिक्यूल और प्रोटीन में काफी रुचि थी। इन्होंने प्रोटीन हीमोग्लोबिन की जांच से मॉलिक्यूलर रोगों को समझाया और सिकल सेल एनीमिया के मॉलिक्यूलर कारण का भी पता लगाया। पॉलिंग के शोध का मुख्य विषय सामान्य सर्दी और फ्लू से लेकर कैंसर और हृदय रोग तक कई बीमारियों के लिए विटामिन C की बड़ी खुराक से होने वाला स्वास्थ्य लाभ था। पॉलिंग ने प्रोटीन की एक मौलिक संरचना का भी अनुमान लगाया, जिसे उन्होंने अल्फा हेलिक्स नाम दिया।
पॉलिंग को मिले हैं दो नोबेल पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार के इतिहास में केवल दो व्यक्तियों को दो अलग-अलग क्षेत्रों में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पहली मैडम मैरी स्कोलोडोव्स्का क्यूरी थीं, जिन्होंने भौतिकी के साथ-साथ रसायन विज्ञान में भी नोबेल जीता था। लाइनस पॉलिंग दूसरे ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें रसायन विज्ञान और शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। लाइनस ने अपने दोनों नोबेल पुरस्कार किसी के साथ साझा नहीं किए हैं, जबकि मैडम क्यूरी को मिला नोबेल तीन लोगों में शेयर किया गया है।
इसलिए मिला है नोबेल पुरस्कार
पॉलिंग को पहला नोबेल पुरस्कार 1954 में केमेस्ट्री में 'केमिकल बॉन्डिंग की प्रकृति और जटिल पदार्थों की संरचना से जुड़े शोध और व्याख्या' के लिए दिया गया था। 1962 में, उन्होंने मानवतावाद, विश्व शांति और परमाणु परीक्षण के विरोध में नोबेल शांति पुरस्कार जीता।
प्रोस्टेट कैंसर से हुई मौत
19 अगस्त, 1994 को लाइनस पॉलिंग का प्रोस्टेट कैंसर के कारण निधन हो गया। अपने जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने कई विदेश यात्राएं कीं और लेक्चर्स दिए। जब उन्होंने बताया कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर है, तो किसी ने पूछा कि विटामिन C की दैनिक खुराक ने उन्हें कैंसर से कैसे नहीं बचाया। इसपर पॉलिंग ने कहा कि यदि वह नियमित रूप से विटामिन नहीं लेते, तो उन्हें बीस साल पहले कैंसर हो गया होता।