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ISRO के आदित्य-L1 को मिलेगा नया पड़ोसी, नासा ने नया मिशन किया लॉन्च
नासा ने IMAP मिशन किया लॉन्च (तस्वीर: नासा)

ISRO के आदित्य-L1 को मिलेगा नया पड़ोसी, नासा ने नया मिशन किया लॉन्च

Sep 24, 2025
05:12 pm

क्या है खबर?

अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आज (24 सितंबर) एक अहम मिशन लॉन्च किया है। स्पेस-X के फाल्कन-9 रॉकेट की मदद से इंटरस्टेलर मैपिंग एंड एक्सेलेरेशन प्रोब (IMAP) को भारतीय समय अनुसार शाम 5:00 बजे फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। यह यान सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) पर काम करेगा, जहां भारत का आदित्य-L1 सैटेलाइट पहले से मौजूद है। यह स्थान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।

लक्ष्य

IMAP मिशन का लक्ष्य क्या है?

IMAP का मुख्य उद्देश्य सौर मंडल की बाहरी सीमा यानी हीलियोस्फीयर का मानचित्रण करना है। यह क्षेत्र सूर्य से लगभग 18 अरब किलोमीटर तक फैला है और ब्रह्मांडीय किरणों से पूरे सौरमंडल की रक्षा करता है। यान दस विशेष उपकरणों से लैस है, जो सौर वायु, ऊर्जावान कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे। IMAP मिशन बताएगा कि सूर्य और आकाशगंगा के बीच कण कैसे आपस में क्रिया करते हैं।

सुरक्षा 

सुरक्षा और अनुसंधान में मदद

IMAP का वास्तविक समय का डाटा अंतरिक्ष मौसम की जानकारी को बेहतर और सटीक बनाएगा। इससे अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष यानों के लिए चेतावनी प्रणाली और सुरक्षित मिशन योजना अधिक प्रभावी और भरोसेमंद संभव होगी। यह जानकारी भविष्य के चंद्रमा, मंगल या गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और निर्णायक साबित होगी। इसके साथ ही वैज्ञानिकों को सूर्य के प्रभाव, अंतरतारकीय कणों और हीलियोस्फीयर की गतिविधियों को समझने में नई दिशा और व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा।

ट्विटर पोस्ट

यहां देखें लॉन्च का वीडियो

योगदान

भारत के आदित्य-L1 का योगदान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का आदित्य-L1 पहले से ही इसी L1 बिंदु पर सूर्य की सबसे बाहरी परत, यानी कोरोना, का अध्ययन कर रहा है। यह मिशन सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) जैसी घटनाओं को ट्रैक करता है, ताकि अंतरिक्ष मौसम का बेहतर अनुमान लगाया जा सके। नासा का नया मिशन और आदित्य-L1 मिलकर इस क्षेत्र में डाटा साझा करेंगे, जिससे शोध में तेज प्रगति होगी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

संभावनाएं

भविष्य की संभावनाएं

IMAP और आदित्य-L1 के साथ अब नासा के ACE, WIND और नासा-ESA के SOHO जैसे अन्य सैटेलाइट्स भी L1 पर सक्रिय हैं। यह मिशन आने वाले वर्षों में सूर्य और अंतरिक्ष वातावरण की समझ को और गहरा और व्यापक करेगा। वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि इससे वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष शोध और तकनीकी विकास मजबूत होगा और पृथ्वी से बाहर के मिशनों की सुरक्षा में नई ऊंचाई हासिल होगी।