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भारत की अमेरिकी तकनीक पर निर्भरता पैदा कर रही सुरक्षा जोखिम, GTRI दिए ये सुझाव 
भारत की अमेरिकी तकनीक पर निर्भरता सुरक्षा जोखिम पैदा कर रही है (तस्वीर: फ्रीपिक)

भारत की अमेरिकी तकनीक पर निर्भरता पैदा कर रही सुरक्षा जोखिम, GTRI दिए ये सुझाव 

Sep 14, 2025
03:54 pm

क्या है खबर?

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने भू-राजनीतिक तनाव के समय में भारत की अमेरिकी सॉफ्टवेयर, क्लाउड सेवाओं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निर्भरता को एक बड़ी आर्थिक और सुरक्षा कमजोरी बताया है। उसने कहा है कि वाशिंगटन सेवाओं या डाटा तक पहुंच को समाप्त करने, बैंकिंग, शासन और रक्षा प्रणालियों को बाधित करने की स्थिति में है, जबकि विदेशी प्लेटफाॅर्म्स के माध्यम से सार्वजनिक संवाद को नियंत्रित कर रहा है। उसने सरकार से इससे छुटकारा पाने के उपाय सुझाए हैं।

बयान 

संस्था ने अमेरिकी तकनीक से क्या बताया खतरा? 

GTRI ने कहा, "भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा अमेरिकी सॉफ्टवेयर, क्लाउड और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक निर्भर है, जिससे भू-राजनीतिक तनाव के समय में बड़ी कमजोरी पैदा हो रही है।" फर्म के के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने इसको लेकर सुझाव देते हुए कहा, "इस समस्या के समाधान के लिए सरकार को 'डिजिटल स्वराज मिशन' शुरू करना चाहिए, जिसके मूल में सॉवरेन क्लाउड, स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम (OS), घरेलू साइबर सुरक्षा और डाटा-संचालित AI नेतृत्व हो।"

तैयारी 

दूसरे देश कर रहे तैयारी 

श्रीवास्तव ने कहा कि यूरोप पहले से ही सॉवरेन क्लाउड का निर्माण कर रहा है और डिजिटल मार्केट अधिनियम को लागू कर रहा है। इसके साथ ही चीन ने भी सरकारी, रक्षा और औद्योगिक प्रणालियों में विदेशी कोड को स्वदेशी प्लेटफॉर्म से बदल दिया है। इस मुद्दे को और स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि अगर अमेरिकी तकनीकी दिग्गज विंडोज, एंड्रॉयड या क्लाउड सेवाओं पर रोक लगा देते हैं तो भारत की पूरी डिजिटल रीढ़ रातों-रात चरमरा सकती है।

सुझाव 

जोखिम खत्म करने के लिए करने होंगे ये प्रयास

मिशन के बारे में अजय श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि अल्पावधि (1-2 वर्ष) में भारत को महत्वपूर्ण डाटा के लिए सॉवरेन क्लाउड होस्टिंग को अनिवार्य बनाना चाहिए। राष्ट्रीय ऑपरेटिंग सिस्टम कार्यक्रम शुरू करना चाहिए और प्रमुख मंत्रालयों में लिनक्स ट्रांजिक्शन का परीक्षण करना चाहिए। मध्यम अवधि (3-5 वर्ष) में सरकारी प्रणालियों को पूरी तरह से भारतीय सॉफ्टवेयर में स्थानांतरित करने की सलाह दी है। इसके बाद दीर्घावधि (5-7 वर्ष) तक भारत को क्लाउड समानता हासिल करनी होगी।