
जेमिनी AI एक जवाब के लिए कितनी ऊर्जा करता है खर्च? गूगल ने जारी किया डाटा
क्या है खबर?
गूगल ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि उसका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ऐप जेमिनी हर क्वेरी पर कितनी ऊर्जा खर्च करता है। यह किसी बड़ी टेक कंपनी द्वारा किया गया अब तक का सबसे पारदर्शी अनुमान माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिपोर्ट AI के बढ़ते उपयोग के बीच उसके वास्तविक ऊर्जा और संसाधन खपत को समझने की दिशा में अहम कदम साबित होगी।
बिजली
कितनी बिजली होती है खर्च?
गूगल का कहना है कि जेमिनी पर की गई औसत क्वेरी लगभग 0.24 वाट-घंटे बिजली का उपयोग करती है, जो एक माइक्रोवेव को करीब 1 सेकंड चलाने जितना है। इसमें से 58 प्रतिशत ऊर्जा गूगल के AI चिप्स द्वारा खर्च होती है, जबकि 25 प्रतिशत हिस्सा CPU और मेमोरी लेते हैं। करीब 10 प्रतिशत ऊर्जा बैकअप उपकरणों से और 8 प्रतिशत डाटा सेंटर चलाने के लिए जरूरी कूलिंग और पावर कन्वर्जन में खर्च होती है।
पानी
पानी की इतनी होती है खपत
गूगल ने यह भी बताया कि AI डाटा सेंटर को ठंडा रखने के लिए पानी का उपयोग किया जाता है। कंपनी के अनुसार, जेमिनी पर की गई एक औसत क्वेरी में लगभग 0.26 मिलीलीटर पानी खर्च होता है, जो 5 बूंदों के बराबर है। गूगल का कहना है कि यूजर्स को इसे लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि खपत रोजमर्रा की सामान्य गतिविधियों जैसे कुछ सेकंड टीवी देखने या कुछ बूंद पानी पीने के बराबर ही है।
खपत
समय के साथ आई बड़ी कमी
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 1 साल में जेमिनी क्वेरी की बिजली खपत में तेज गिरावट आई है। मई, 2024 की तुलना में मई, 2025 में औसत क्वेरी ने 33 गुना कम बिजली का इस्तेमाल किया। कंपनी का कहना है कि यह सुधार उसके मॉडलों और सॉफ्टवेयर ऑप्टिमाइजेशन में प्रगति की वजह से हुआ है। साथ ही, एक औसत क्वेरी से केवल 0.03 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण पर बहुत कम असर डालता है।
भविष्य
विशेषज्ञों की राय और भविष्य
विशेषज्ञों का कहना है कि गूगल की यह रिपोर्ट AI और ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाती है। यह शोध करने वालों के लिए मददगार है, क्योंकि इससे काम में पारदर्शिता आती है। हालांकि, रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि जेमिनी को हर दिन कितने सवाल पूछे जाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि आगे चलकर AI के लिए एक तय ऊर्जा स्कोर बनाना जरूरी होगा, ताकि लोग जान सकें कौन सा मॉडल कितनी बिजली और संसाधन खर्च करता है।