DRDO मिसाइल लैब में IP एड्रेस लीक, खतरे में थी देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी
भारत के सुरक्षा संगठन में एक डाटा लीक का मामला सामने आया है, जिसके चलते देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया था। डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की एक बड़ी लैब से देश के मिसाइल डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट्स से जुड़ा डाटा लीक हो सकता था। लीक में इस संगठन के बेहद सुरक्षित इंटरनेट के इस्तेमाल का मामला सामने आया है, जिसके IP एड्रेस का इस्तेमाल करते हुए एक प्राइवेट वेंडर ने टेंडर से जुड़ी बोली लगाई।
हैदराबाद की DRDO लैब में सामने आया मामला
IP एड्रेस लीक का मामला हैदराबाद स्थित एडवांस्ड सिस्टमस लैबोरेटरी (ASL) का है, जो भारतीय मिसाइल सिस्टम डिजाइन और तैयार करने से जुड़ी टॉप क्लास टेक्नोलॉजी तैयार करती हैं। इन प्रोजेक्ट्स में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बलिस्टिक मिसाइल्स भी शामिल हैं और इसकी सुरक्षा ग्रिड में यह बड़ी खामी सामने आई है। बता दें, लीक का मामला जिस टेंडर से जुड़ा है, वह मिसाइल कंपोनेंट्स की बिक्री से जुड़ा है।
न्यूजबाइट्स प्लस
IP एड्रेस एक यूनीक एड्रेस होता है, जिसकी मदद से इंटरनेट या लोकल नेटवर्क पर किसी डिवाइस की पहचान की जाती है। IP या 'इंटरनेट प्रोटोकॉल' से इंटनेट या नेटवर्क पर भेजे जाने वाले डाटा से जुड़े नियम लागू होते हैं।
बढ़ गई सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों की चिंता
ASL में IP एड्रेस लीक होना गंभीर सुरक्षा खामी है क्योंकि सभी DRDO लैबोरेटरीज वाई-फाई के बजाय इंटरनेट के जरिए कनेक्टेड हैं। सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों की चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि ASL हाई-सिक्योरिटी जोन है, जिसमें विजिटर्स को कड़ी सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। सुरक्षा विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, "अगर कोई बाहरी आपकी इंट्रानेट सेवाएं ऐक्सेस कर सकता है, तो वह मिसाइल डिवेलपमेंट या किसी गोपनीय DRDO प्रोग्राम तक भी पहुंच सकता है।"
ऐसे मामलों को रिव्यू कर रहा है सुरक्षा मंत्रालय
पिछले महीने DRDO की ओर से शेयर किए गए इंटरनल नोट के मुताबिक, सरकारी एजेंसियों (खरीददार) और प्राइवेट वेंडर्स (विक्रेताओं) के बीच ऐसे संदिग्ध लेनदेन के करीब 895 मामले अप्रैल, 2021 से जनवरी, 2022 के बीच सामने आए हैं। इन सभी मामलों की जांच सुरक्षा मंत्रालय की ओर से की जा रही है। वहीं, ASL से जुड़े डाटा लीक मामले को लेकर DRDO स्पोक्सपर्सन ने अब तक कुछ नहीं कहा है और कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
ASL मामले में की जा रही है आंतरिक जांच की मांग
ASL लीक के मामले में एक आंतरिक जांच शुरू की गई है, जो पता लगाएगी कि क्या लैब में मौजूद किसी सिस्टम या डिवाइस का इस्तेमाल टेंडर पर बोली लगाने के लिए वेंडर की ओर से किया गया। DRDO ने नोट में लिखा है, 'ASL के सभी सिस्टम्स और वर्क सेंटर्स के IP एड्रेस एक ही हैं। इस बार खरीददार (ASL) और विक्रेता (वेंडर) के IP एड्रेस एक जैसे सामने आए, जो किसी तरह की छेड़खानी पर इशारा करते हैं।'
ASL की ओर से जारी की गई चेतावनी
मामले को लेकर ASL ने सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए चेतावनी जारी की है, जिसमें सप्लायर्स को लैब का इंट्रानेट इस्तेमाल करने का विकल्प देने पर कार्रवाई की बात कही गई है। DRDO अथॉरिटीज का दावा है कि कॉन्ट्रैक्ट्स की प्रोसेसिंग से जुड़े स्टेकहोल्डर्स इस तरह की खामी के लिए जिम्मेदार हैं और उनके या फिर उनके साथ काम करने वालों की ओर से ऐसे काम किए जाते हैं। ऐसा करने वालों पर कठोर कार्रवाई की बात कही गई है।