
डिजिटल अरेस्ट में बैंकर ने गंवाएं 23 करोड़ रुपये, जानिए आप कैसे रहें सुरक्षित
क्या है खबर?
देश में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में दिल्ली से डिजिटल अरेस्ट ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें एक 78 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंकर ने करीब 23 करोड़ रुपये गवा दिए। पुलिस के मुताबिक, यह दिल्ली का अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट मामला है। आरोपी खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ित को डराते रहे और अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाते रहे।
घोटाला
कैसे हुआ यह बड़ा घोटाला?
पीड़ित नरेश मल्होत्रा ने 6 हफ्तों में 21 लेन-देन से 22.92 करोड़ रुपये 16 अलग-अलग अकाउंट में भेज दिए। इस दौरान वह जिंदगी सामान्य तरीके से जीते रहे और बैंक शाखाओं में खुद जाकर पैसे ट्रांसफर करते रहे। जालसाज उन्हें फोन पर डराते थे कि उनकी पहचान आतंकवाद से जुड़ी है और जमानत के लिए पैसे भेजने होंगे। जब जालसाजों ने 5 करोड़ रुपये और मांगे, तभी पीड़ित को शक हुआ और उन्होंने 19 सितंबर को पुलिस में शिकायत की।
डिजिटल अरेस्ट
क्या होती है डिजिटल अरेस्ट ठगी?
डिजिटल अरेस्ट ठगी में अपराधी खुद को पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ED) या भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिकारी बताकर पीड़ित को धमकाते हैं। जालसाज कहते हैं कि आपकी पहचान किसी अपराध में इस्तेमाल हुई है और गिरफ्तारी से बचने के लिए आपको पैसे जमानत के रूप में जमा कराने होंगे। वे लगातार निगरानी का एहसास कराते हैं, जिससे पीड़ित मानसिक दबाव में आकर उनके कहने पर बड़ी रकम ट्रांसफर कर देता है।
बचाव
ऐसी ठगी से कैसे बचें?
इस तरह की ठगी से बचने के लिए हमेशा सतर्क रहें। किसी भी अनजान कॉल पर निजी जानकारी, बैंक विवरण या OTP साझा न करें। सरकारी एजेंसियां कभी फोन पर पैसे जमा करने के लिए नहीं कहतीं। संदिग्ध कॉल आने पर तुरंत 1930 साइबर क्राइम हेल्पलाइन या स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। बैंक लेन-देन पर नजर रखें और किसी भी असामान्य गतिविधि पर तुरंत बैंक और पुलिस को सूचित करें, ताकि धनराशि समय पर रोकी जा सके।