कॉइनस्विच ऐप ने बंद किया क्रिप्टो खरीदने का विकल्प, पेमेंट ऑप्शंस हुए डिसेबल
क्या है खबर?
वर्चुअल असेट्स और क्रिप्टोकरेंसी ट्रेंड के बीच क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म कॉइनस्विच कुबेर ने क्रिप्टो खरीदने का विकल्प देना बंद कर दिया है।
यूजर्स इस प्लेटफॉर्म की मदद से रुपये की बदले क्रिप्टो खरीद सकते थे, लेकिन अब इसने बैंक ट्रांसफर्स समेत डिजिटल कॉइन्स खरीदने से जुड़े सभी पेमेंट्स मोड सस्पेंड कर दिए हैं।
भारतीय यूजर्स अब ऐप में INR डिपॉजिट नहीं कर सकते और उनके लिए UPI, NEFT, RTGS और IMPS जैसे ट्रांसफर विकल्प भी बंद हो चुके हैं।
परेशानी
आसान नहीं रह जाएगा क्रिप्टोकरेंसी खरीदना
कॉइनस्विच कुबेर की ओर से उठाए गए कदम ने सभी को चौंका दिया है और अब क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए यूजर्स को उनके क्रिप्टो वॉलेट्स की मदद लेनी होगी।
इसका असर कॉइनस्विच प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने वाले लाखों यूजर्स पर पड़ा है और इसपर ट्रेडिंग वॉल्यूम भी कम हुआ है।
कंपनी ने कुछ दिन पहले ही यूजर्स को UPI की मदद से पेमेंट का विकल्प दिया था, जबकि NPCI क्रिप्टो एक्सचेंज के लिए UPI के इस्तेमाल को सही नहीं मानती।
वजह
प्लेटफॉर्म ने नहीं बताई बदलाव की वजह
कॉइनस्विच ने मौजूदा पेमेंट मोड्स सस्पेंड करने के पीछे कोई वजह नहीं बताई है और इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है।
कई यूजर्स ने इस बारे में ट्विटर पर पूछा है, लेकिन प्लेटफॉर्म की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज 1 अप्रैल के बाद प्रभावित हुआ है, जब से सरकार की ओर से वर्चुअल असेट्स और क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स की घोषणा की गई है।
नुकसान
क्रिप्टो एक्सचेंज और ट्रेडिंग में आई कमी
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ज्यादातर बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म्स ने भारत में क्रिप्टो रेग्युलेशंस के बाद ट्रेडिंग में गिरावट दर्ज की है।
जेबपे, वजीर-X और जियोटस जैसे इन प्लेटफॉर्म्स में मिलने वाले पेमेंट के तरीकों में भी बदलाव देखने को मिले हैं।
मनीकंट्रोल के मुताबिक, मोबिक्विक अकेला वॉलेट था, जिसकी मदद से यूजर्स कई प्लेटफॉर्म्स पर क्रिप्टो खरीद पा रहे थे, लेकिन अप्रैल की शुरुआत से यह विकल्प भी अब उपलब्ध नहीं है।
कोशिश
क्रिप्टोकरेंसी पर नियंत्रण चाहती है सरकार
भारत में सभी तरह के वर्चुअल असेट्स पर अब 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा।
इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसीज और डिजिटल असेट्स से जुड़े हर तरह के लेनदेन के साथ सोर्स पर एक प्रतिशत टैक्स (TDS) कटेगा।
बीते दिनों सामने आया है कि सरकार फ्रॉड्स को रोकने के लिए अनरेग्युलेटेड क्रिप्टोकरेंसी पर भी नियंत्रण चाहती है।
हालांकि, भारत सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसीज पर किस तरह नियंत्रण करेगी, इस बारे में अभी कुछ साफ नहीं है।
सवाल
किस आधार पर किया जाए क्रिप्टोकरेंसी खरीदने का फैसला?
क्रिप्टोकरेंसी नया कॉन्सेप्ट नहीं है और अमेजन जैसे कई कंपनियां इससे भुगतान का विकल्प देती हैं।
हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी पर नियंत्रण आसान नहीं है क्योंकि कोई संस्था या नियामक संगठन इसके मार्केट में फ्लो को मॉनीटर नहीं करता।
यानी कि इसकी वैल्यू घटेगी या बढ़ेगी, इसपर कुछ नहीं कहा जा सकता जबकि किसी करेंसी का स्थिर रहना महत्वपूर्ण होता है।
क्रिप्टोकरेंसी खरीदने या इसमें निवेश करने का फैसला इससे जुड़े रिस्क को ध्यान में रखने के बाद ही किया जाना चाहिए।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत में मार्च, 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी पर लगा बैन हटा दिया है, यानी कि इसे खरीदना या इस्तेमाल करना अवैध नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी पेमेंट्स ज्यादा सुरक्षित होते हैं और इनमें मिडिलमैन ना होने के चलते ज्यादा प्रोसेसिंग फीस नहीं देनी पड़ती।