
AIIMS दिल्ली के शोधकर्ताओं ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध पर पुनर्विचार का किया आह्वान
क्या है खबर?
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली के शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) या ई-सिगरेट पर भारत में लगे प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया है। उनका तर्क है कि निकोटीन युक्त ई-सिगरेट लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मददगार साबित हो सकती है, लेकिन इसमें पूर्वाग्रह का जोखिम भी है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने इस प्रतिबंध के कारण संभावित अवैध बिक्री और प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों के प्रति भी आगाह किया है।
नुकसान
चिकित्सकों ने बताया प्रतिबंध का नुकसान
ई-सिगरेट पारंपरिक तंबाकू धूम्रपान की विशेषताओं का अनुकरण करने के लिए बैटरी द्वारा संचालित होती हैं। 2019 में भारत ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA) लाकर ऐसे उपकरणों की बिक्री, भंडारण और निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया। AIIMS दिल्ली के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक शंकर और डॉ. वैभव साहनी ने JCO ग्लोबल ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित टिप्पणी में ENDS पर पूर्ण प्रतिबंध के संभावित नुकसान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध से अवैध विपणन बढ़ सकता है।
फायदा
ई-सिगरेट का क्या है फायदा?
चिकित्सकों ने बताया कि अनौपचारिक स्रोतों से ENDS में मौजूद हानिकारक तत्वों के कारण अमेरिका में ई-सिगरेट और वेपिंग से जुड़ी फेफड़ों की क्षति का प्रकोप देखा गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि ई-सिगरेट लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करती है और आंकड़े धूम्रपान छोड़ने की दर को बेहतर साबित करते हैं। यह दर निकोटीन युक्त की तुलना में निकोटीन रहित ई-सिगरेट से ज्यादा है। उन्होंने पूर्ण शराब प्रतिबंध के विनाशकारी परिणामों की ओर भी इशारा किया।