
AI के भविष्य पर राजस्व कमी से मंडरा रहा खतरा- रिपोर्ट
क्या है खबर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग अब लगभग सभी क्षेत्रों में काफी तेजी से बढ़ भी रहा है। हालांकि, AI के भविष्य पर एक बड़ा खतरा मंडराता नजर आ रहा है। कंसल्टिंग फर्म बैन एंड कंपनी के अनुसार, 2030 तक AI कंपनियों को जरूरी कंप्यूटिंग क्षमता बनाए रखने के लिए हर साल करीब 180 लाख करोड़ रुपये की कमाई चाहिए होगी, लेकिन मौजूदा हालात में राजस्व इस लक्ष्य से लगभग 800 अरब डॉलर (लगभग 71,000 अरब रुपये) कम रह सकता है।
अंतर
राजस्व और खर्च में भारी अंतर
बैन की रिपोर्ट कहती है कि OpenAI जैसी कंपनियां डाटा सेंटर और तकनीक पर अरबों डॉलर खर्च कर रही हैं, लेकिन उनकी कमाई इतनी तेजी से नहीं बढ़ रही। ChatGPT जैसी सेवाओं की लोकप्रियता तो बढ़ रही है, लेकिन AI से कंपनियों की बचत और अतिरिक्त आय इस गति से पीछे है। इसका मतलब है कि आने वाले सालों में निवेश की जरूरत पूरी करना मुश्किल हो सकता है और AI उद्योग पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा।
उम्मीदें
क्वांटम और रोबोटिक्स में नई उम्मीदें
AI के अलावा क्वांटम कंप्यूटिंग और ह्यूमनॉइड रोबोट भी आगे बढ़ सकते हैं। अगले 10 सालों में क्वांटम तकनीक वित्त, दवाइयों, लॉजिस्टिक्स और मटेरियल्स साइंस में 250 अरब डॉलर (लगभग 22,000 अरब रुपये) का बाजार बना सकती है। हालांकि, शुरुआती दौर में इसका उपयोग सीमित क्षेत्रों में होगा। ह्यूमनॉइड रोबोट अभी शुरुआती चरण में हैं और मानव निगरानी पर निर्भर हैं, लेकिन शुरुआती निवेश करने वाली कंपनियाँ आगे चलकर उद्योग में बढ़त हासिल कर सकती हैं।
निवेश
बड़ी तकनीकी कंपनियों का बढ़ता निवेश
ब्लूमबर्ग की के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और मेटा जैसे दिग्गज अगले दशक की शुरुआत तक AI पर हर साल 500 अरब डॉलर (लगभग 44,000 अरब रुपये) से अधिक खर्च करने वाले हैं। OpenAI और चीन की डीपसीक जैसे नए मॉडल बाजार में आने से AI सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाएं और ऊर्जा की सीमाएं इस विस्तार को धीमा कर सकती हैं, जिससे पूरे उद्योग को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।