
समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने CJI को अपशब्द कहे, बयान से पलटे
क्या है खबर?
समाजवादी पार्टी (SP) के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है।
राज्यसभा सांसद यादव से अयोध्या विवाद के संदर्भ में CJI चंद्रचूड़ द्वारा की गई टिप्पणी के बारे में पूछा गया था।
इस पर यादव ने कहा, "मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। अब वे कहां हैं?...भूल जाइए, ऐसे सभी घटिया लोग ऐसी बातें करते रहते हैं। क्या मुझे उन पर ध्यान देना चाहिए?"
टिप्पणी
अब बयान से पलटे यादव
इस बयान के सामने आने पर विवाद शुरू हुआ तो यादव अपने बयान से पलट गए। उन्होंने समाचार एजेंसी ANI से कहा कि उनसे बहराइच हिंसा पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया था।
यादव ने कहा, "किसी ने मुझसे CJI के बारे में कुछ नहीं पूछा। CJI बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। मैंने कभी उन पर कोई टिप्पणी नहीं की। मुझसे बहराइच (हिंसा) के बारे में पूछा गया और मैंने उसका जवाब दिया।"
बयान
क्या बोले थे CJI चंद्रचूड़?
CJI चंद्रचूड़ ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था, "अक्सर हमारे पास मामले (निर्णय के लिए) आते हैं, लेकिन हम समाधान पर नहीं पहुंचते हैं। अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था। मैं भगवान के सामने बैठा और उनसे कहा कि उन्हें इसका समाधान ढूंढना होगा। मेरा विश्वास करें, अगर आपमें आस्था है तो भगवान हमेशा कोई रास्ता निकाल ही लेंगे।"
ट्विटर पोस्ट
बयान पर सफाई दी रामगोपाल यादव ने
#WATCH | Mainpuri, Uttar Pradesh: SP leader Ram Gopal Yadav clarifies his remark on the CJI...an earlier video soundbyte of his showed him apparently using an objectionable remark when asked a question on CJI's remark on Ayodhya verdict. pic.twitter.com/YrDmw3uCpu
— ANI (@ANI) October 21, 2024
विवाद
क्या था अयोध्या विवाद?
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में आरोप था कि 16वीं शताब्दी की मुगल मस्जिद राम के जन्मस्थान के मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।
9 नवंबर, 2019 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ सहित सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की पीठ ने विवादित परिसर का हक रामलला को दिया और मस्जिद के लिए वैकल्पिक 5 एकड़ का भूखंड नामित किया।
सुनवाई 40 दिन तक चली थी, जिससे लगभग 70 साल पुराना संघर्ष समाप्त हो गया।