विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा में रह चुके सिन्हा फिलहाल ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) में थे। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उनके नाम का ऐलान करते हुए सभी पार्टियों से सिन्हा को वोट देने की अपील की। करीब 17 पार्टियों ने सिन्हा को अपना समर्थन दिया है। आइए यशवंत सिन्हा की जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं।
बेटा भाजपा सांसद और पिता यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार
यशवंत सिन्हा की शादी नीलिमा से हुई है और उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। यशवंत सिन्हा के एक बेटे का नाम जयंत सिन्हा है और वह हजारीबाग से भाजपा सांसद हैं। उनके दूसरे बेटे का नाम सुमंत सिन्हा है जो एक बिजनेसमैन हैं। यशवंत सिन्हा को पढ़ने और बागवानी के अलावा बिजनेस में भी रुचि है। वो व्यापक रूप से देश-दुनिया में घूमे हुए हैं और कई राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधिमंडलों की अगुवाई कर चुके हैं।
यशवंत सिन्हा ने बतौर IAS की करियर की शुरूआत
यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर, 1937 को पटना के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने 1958 में पटना यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया और दो साल बाद सिविल सेवा परीक्षा पास करके IAS बन गए। सिन्हा ने 26 साल तक IAS के पद पर अपनी सेवाएं दीं और बिहार और दिल्ली में कई अहम पदों पर कार्यरत रहे। उन्होंने जर्मनी में वाणिज्यिक सचिव और महावाणिज्य दूत के तौर पर भी कार्य किया है।
1984 में IAS की नौकरी छोड़ जनता पार्टी में हो गए शामिल
यशवंत सिन्हा बिहार के समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के विचारों से बेहद प्रभावित हुए और 1984 में IAS की नौकरी छोड़कर जयप्रकाश के मार्गदर्शन में खड़ी हुई जनता पार्टी में शामिल हो गए। दो साल के अंदर सिन्हा पार्टी के महासचिव बन गए। 1989 में जब जनता पार्टी से जनता दल बना तो वह इसके अखिल भारतीय महासचिव बनाए गए। 1990 में वह चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) में शामिल हो गए और उनकी सरकार में वित्त मंत्री रहे।
यशवंत सिन्हा को देश में कई महत्वपूर्ण सुधारों का दिया जाता है श्रेय
सिन्हा 1996 में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे। वित्त मंत्री के तौर पर सिन्हा को देश में कई प्रमुख सुधारों को आगे बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है। इनमें वास्तविक ब्याज दरों को कम करना, बंधक ब्याज के लिए कर कटौती शुरू करना, दूरसंचार क्षेत्र को मुक्त करना, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निधि देने में मदद करना और पेट्रोलियम उद्योग को विनियमित करना शामिल है
प्रधानमंत्री के घोर आलोचक माने जाते है यशवंत सिन्हा
सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोर आलोचक माने जाते है। सिन्हा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण के साथ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर राफेल मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट देने के फैसले की समीक्षा की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सिन्हा 2021 में भाजपा का दामन छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
जब मुख्यमंत्री से भिड़ गए थे सिन्हा
बतौर IAS सिन्हा बिहार के मुख्यमंत्री से भी भिड़ चुके हैं। बात तब की है जब सिन्हा संथाल परगना में डिप्टी कमिश्नर के तौर पर तैनात थे और उनकी तत्कालीन मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद से कहासुनी हो गई। तब सिन्हा ने प्रसाद से कहा था, "मैं शरीफ आदमी हूं और चाहता हूं कि मुझसे शराफत से पेश आया जाए। जहां तक दूसरी नौकरी ढूंढने की बात है, मैं एक दिन मुख्यमंत्री बन सकता हूं, लेकिन आप कभी IAS नहीं बन सकते।"
फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजित हैं सिन्हा
यशवंत सिन्हा को 2015 में फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'लीजन ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया था। 'लीजन ऑफ ऑनर' फ्रांस गणराज्य द्वारा अपने नागरिक और विदेशियों को दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।