बंगाल: TMC की टिकट पर उपचुनाव लड़ेंगे शत्रुघ्न सिन्हा और बाबुल सुप्रियो
क्या है खबर?
कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो तृणमूल कांग्रेस (TMC) की टिकट पर उपचुनाव लड़ेंगे। सिन्हा को लोकसभा उपचुनाव और बाबुल को विधानसभा उपचुनाव में मैदान में उतारा गया है।
बाबुल पहले ही भाजपा छोड़ TMC में शामिल हो चुके हैं, लेकिन सिन्हा अभी भी कांग्रेस के नेता हैं और उन्होंने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है।
ऐसे में उन्हें टिकट देने से TMC और कांग्रेस के बीच चल रहा मनमुटाव और बढ़ सकता है।
ऐलान
आसनसोल से सिन्हा और बालीगंज से बाबुल लड़ेंगे चुनाव
बाबुल और सिन्हा के चुनाव लड़ने की जानकारी खुद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दी है।
अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की ओर से ये ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रसिद्ध अभिनेता श्री शत्रुघ्न सिन्हा लोकसभा उपचुनाव में आसनसोल से हमारे प्रत्याशी होंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रसिद्ध गायक बाबुल सुप्रियो विधानसभा उपचुनाव में बालीगंज से हमारे प्रत्याशी होंगे। जय हिंद, जय बंगला।'
दल-बदल
भाजपा से TMC में आए हैं बाबुल सुप्रियो
केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री रहे बाबुल सुप्रियो पिछले साल सितंबर में ही TMC में शामिल हुए थे।
केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद भाजपा ने मार्च-अप्रैल में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उन्हें उनकी इच्छा के खिलाफ मैदान में उतारा था। TMC की लहर के कारण वो ये चुनाव हार गए और फिर सितंबर में वह TMC में ही शामिल हो गए।
आसनसोल सीट उन्हीं के इस्तीफे के कारण खाली हुई है और वो यहीं से सांसद थे।
शत्रुघ्न सिन्हा
शीर्ष नेतृत्व से असहमति के कारण सिन्हा ने छोड़ी थी भाजपा
सिन्हा की बात करें तो वह अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वह भाजपा की तरफ से राज्यसभा सांसद और पटना साहिब से लोकसभा सांसद रह चुके हैं।
शीर्ष नेतृत्व से असहमति के कारण वह 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वह अभी भी कांग्रेस के सदस्य हैं, लेकिन पिछले साल उनके TMC में शामिल हो सकने की खबरें आई थीं। अब TMC ने उन्हें टिकट दे दी है।
TMC का विस्तार
न्यूजबाइट्स प्लस
विधानसभा चुनाव में भाजपा को बुरी तरह से हराने के बाद TMC की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं और वह देशभर में विस्तार की कोशिश कर रही है।
अभी तक पार्टी का यह विस्तार कांग्रेस की कीमत पर हुआ है और गोवा, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा समेत कई राज्यों में उसने कांग्रेस नेताओं को अपनी ओर खींचा है।
इसके कारण दोनों पार्टियों के बीच तनाव चल रहा है और उनके नेता अक्सर एक-दूसरे पर निशाना साधते हैं।