नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब में ट्रैक्टर रैलियों की अगुवाई करेंगे राहुल गांधी
पंजाब में नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को अब राहुल गांधी का साथ मिलेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी 3-5 अक्टूबर तक पंजाब में किसानों के प्रदर्शनों का नेतृत्व करेंगे। इस दौरान पंजाब कांग्रेस के सभी विधायक और कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के सारे मंत्री इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि हरियाणा और पंजाब में नए कृषि कानूनों का कड़ा विरोध हो रहा है।
मुख्यमंत्री समेत ये पार्टी पदाधिकारी भी होंगे शामिल
जानकारी के अनुसार, नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए राहुल गांधी के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत सभी मंत्री और विधायक इन प्रदर्शनों में शामिल होंगे। पहले यह कार्यक्रम 2 अक्टूबर से शुरू होना था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से मंजूरी न मिलने के कारण इसे एक दिन आगे बढ़ाया गया है।
ट्रैक्टर रैलियां करेंगे राहुल गांधी
पंजाब कांग्रेस के अनुसार, राहुल गांधी पंजाब में ट्रैक्टर रैलियां करेंगे। तीन दिनों में इन रैलियों के जरिये अलग-अलग विधानसभाओं में लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। पार्टी को उम्मीद है कि किसान संगठन इन रैलियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। इनका आयोजन रोजाना सुबह 11 बजे से शुरू होगा। इनकी शुरुआत 3 अक्टूबर को मोगा जिले के बढ़नी कलां से किया जाएगा। जनसभा के साथ शुरू होने वाली यह ट्रैक्टर रैली 22 किलोमीटर तक जाएगी।
ये है राहुल गांधी की रैलियों का कार्यक्रम
4 अक्टूबर को राहुल जनसभा के लिए कार से भवानीगढ़ जाएंगे। वहां से वो ट्रैक्टर रैली लेकर पटियाला के समाना आएंगे। अगले दिन वो पटियाला के धुदन साधन में जनसभा से रैली की शुरुआत कर पिहोवा बॉर्डर तक ट्रैक्टर से 10 किलोमीटर का सफर तय करेंगे, जहां से वो हरियाणा में प्रवेश कर जाएंगे। बताया जा रहा है कि राहुल उसी दिन कैथल और कुरुक्षेत्र जिलों में किसान रैलियों को संबोधित कर सकते हैं।
MSP को लेकर है किसानों की असली चिंता
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों को विपक्ष का भी साथ मिला है। किसानों का कहना है कि इन कानूनों के जरिये सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सरकारी मंडी की व्यवस्था खत्म करना चाहती है। वहीं प्रधानमंत्री समेत सरकार के कई मंत्री कह चुके हैं कि MPS की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी और उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।