राफेल डील को लेकर राहुल का प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना, कहा- खुद बढ़ाए विमानों के दाम
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल डील को लेकर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं। राहुल गांधी ने एक बार फिर ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी पर नए आरोप लगाए हैं। राहुल ने ट्विटर पर लिखा कि पीएम मोदी ने खुद राफेल लड़ाकू विमान के बेंचमार्क दाम €3oo करोड़ (Rs. 22,743 करोड़) बढ़ाए हैं। रक्षा मंत्रालय के वित्त निदेशक ने बताया कि पीएम मोदी ने उन्हें और उनकी टीम की बात को पलट दिया।
संप्रभु गारंटी को लेकर किया सवाल
इससे पहले राहुल ने कहा था कि इस सौदे के लिए फ्रांस सरकार ने कोई संप्रभु गारंटी नहीं दी, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि फ्रांस ने एक आश्वासन की चिट्ठी दी है। क्या यह सरकार की सरकार से डील करने के लिए काफी है? राहुल ने एक तस्वीर शेयर की जिस पर लिखा है कि दसॉल्ट (विमान) डिलीवर करने में असफल रहता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? राहुल अपनी अलग-अलग जनसभाओं में राफ़ेल का मुद्दा उठाते रहते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने सुरक्षित रखा फैसला
उच्चतम न्यायालय ने राफेल मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। तीन घंटे तक चली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को जानकारी दी कि इस सौदे के लिए फ्रांस की सरकार की तरफ से कोई संप्रभु गारंटी नहीं बल्कि आश्वासन की चिट्ठी दी गई है। वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायालय विमान और हथियार की खरीद से जुड़े फ़ैसले करने में असक्षम है।
उच्चतम न्यायालय में सरकार का हलफनामा
राफेल विमानों की कीमतों के खुलासे के लिए उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई थी। इसके बाद न्यायालय ने सरकार से इस डील के बारे में जानकारी मांगी थी। सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दस्तावेज सौंपे हैं, जिनमें राफेल डील की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। इनमें कहा गया है कि सरकार ने राफेल विमान रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत इस खरीद को अंजाम दिया है। इसके लिए रक्षा खरीद परिषद की मंजूरी ली गई थी।
कांग्रेस ने हलफनामे पर उठाये सवाल
कांग्रेस ने सरकार की तरफ से उच्चतम न्यायालय में राफेल डील को लेकर पेश किए गए हलफनामे पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने कहा कि यह हलफनामा डील के बारे में जानकारी कम देता है और छुपाता ज्यादा है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस हलफनामे को लेकर केंद्र सरकार से कुछ सवाल किए। उन्होंने कहा कि जब 126 राफेल खरीदने की प्रक्रिया खत्म नहीं हुई तो सरकार ने 36 विमान खरीदने का फैसला कैसे किया?
वायुसेना ने कहा- 33 सालों से नहीं मिला कोई विमान
उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान वायुसेना का भी पक्ष सुना। एयर वाइस मार्शल चलपति ने न्यायालय को बताया कि भारत को चौथी पीढ़ी से आगे के विमानों की ज़रूरत है, इसीलिए राफेल विमानों को चुना गया। न्यायालय ने उनसे पूछा कि क्या साल 1985 के बाद कोई भी जेट विमान भारतीय वायु सेना में शामिल नहीं किया गया? इस पर वायुसेना अधिकारियों ने कहा कि नहीं, पिछले 33 वर्षों से कोई भी जेट विमान शामिल नहीं किया गया है।
अटल बिहारी वाजपेयी के समय आया था प्रस्ताव
भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 126 लड़ाकू विमान की खरीद का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उनके कार्यकाल में इस प्रस्ताव पर काम नहीं हो पाया। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने अगस्त 2007 में 126 विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी। फिर बिडिंग यानी बोली लगने की प्रक्रिया शुरू हुई और अंत में लड़ाकू विमानों की खरीद का RFP जारी कर दिया गया।
बोली की प्रक्रिया
लड़ाकू विमानों की रेस में अमेरिका के बोइंग F/A-18 E/F सुपर हॉरनेट, फ्रांस का दसॉल्ट राफेल, ब्रिटेन का यूरोफाइटर, अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन F-16 फाल्कन, रूस का मिकोयान मिग-35 जैसे विमान शामिल थे, लेकिन बोली लगाने की प्रक्रिया में फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट ने बाजी मारी। इसके बाद दसॉल्ट से विमान खरीदने की प्रक्रिया शुरू हुई। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तकनीकी व अन्य कारणों से यह बातचीत 2014 तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।