विधानसभा चुनावों में हार पर राज्य नेताओं पर भड़के राहुल गांधी, पूछा ये सवाल
गुरुवार को कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) की बैठक में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार पर चर्चा हुई। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राज्य इकाइयों से पूछा कि उन्होंने छोटी पार्टियों से सांठ-गांठ क्यों नहीं की। इस बैठक में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल ने 2024 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता पर जोर दिया।
बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
CWC की बैठक के दौरान राज्य चुनावों को इस बात के उदाहरण के रूप में देखा गया कि क्या नहीं करना चाहिए, खासकर मध्य प्रदेश में, जहां कांग्रेस 4 बार की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने में विफल रही। कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी सत्ता खो दी, जबकि तेलंगाना में उसे एकमात्र जीत हासिल हुई। खड़गे ने भी पार्टी को एक स्पष्ट संदेश में कहा कि राज्य चुनाव के नतीजे से सबक लेना चाहिए।
राहुल गांधी ने राज्य इकाइयों से किए सवाल
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि राहुल ने सवाल किया कि राज्य इकाइयां भाजपा को हराने के लिए छोटी पार्टियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए तैयार क्यों नहीं हुईं। उन्होंने राज्य इकाइयों से छोटी पार्टियों के साथ साठ-गांठ करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को छोटी पार्टियों के साथ सीट बंटवारे पर सहमत होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इसे अतिक्रमण नहीं कहा जा सकता।
राहुल ने और क्या कहा?
कांग्रेस सांसद ने कहा, 'कांग्रेस को दूसरों को समायोजित करने की जरूरत है और भाजपा के खिलाफ लड़ाई में हर एक प्रतिशत वोट मायने रखता है।' सूत्रों का कहना है कि राहुल को यह भी लगा कि पार्टी ने 3 राज्यों में ठीक से प्रचार नहीं किया और उन्होंने तेलंगाना का उदाहरण दिया, जहां प्रचार के दम पर कांग्रेस ने तीसरे स्थान से जोरदार वापसी की।
राहुल ने कहा- भाजपा अपराजेय नहीं
इस दौरान जब कुछ नेताओं ने तीनों राज्यों में भाजपा की संगठनात्मक ताकत को उजागर करने की कोशिश की, तो राहुल ने कहा, "कांग्रेस ने 2018 में तीनों राज्यों में जीत हासिल की थी। भाजपा अपराजेय नहीं है।"
खड़गे ने राहुल से जताई सहमति
रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने कथित तौर पर इस विचार का समर्थन किया और कहा कि पार्टी के व्यापक हित में 4 या 5 सीटें छोड़ना कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए था। बैठक में खड़गे सहित कई नेताओं ने मध्य प्रदेश में हार के लिए कमलनाथ की निरंकुश शैली और फीडबैक या विचारों को स्वीकार करने से इनकार करने की उनकी हठ को जिम्मेदार ठहराया।
कमलनाथ की क्यों हो रही आलोचना?
बता दें कि मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (SP) के साथ गठबंधन नहीं किया था। SP गठबंधन में कुछ सीटें मांग रही थी, लेकिन कमलनाथ ने ये सीटें देने से इनकार कर दिया और बयान दिया कि 'अखिलेश-वखिलेश' कौन है। इससे SP अध्यक्ष अखिलेश यादव काफी नाराज हुए थे और विपक्षी गठबंधन INDIA से निकलने तक की धमकी दे दी थी।