संसद में आज होगी वंदे मातरम पर बहस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस को घेरेंगे
क्या है खबर?
संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में सोमवार को वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर एक विशेष बहस होगी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। इस बहस के हंगामेदार होने के आसार हैं क्योंकि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर विपक्षी कांग्रेस को घेरने की तैयारी में है। चर्चा के दौरान ऐतिहासिक कविता के कई महत्वपूर्ण और कम ज्ञात तथ्य उजागर किए जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहस में दूसरे वक्ता होंगे।
बहस
10 घंटे होगी चर्चा
विपक्ष की ओर से सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी बहस की शुरूआत करेंगे। इस मुद्दे पर बहस के लिए लोकसभा में 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। इस दौरान राष्ट्रगीत के कई महत्वपूर्ण और अनछुए पहलुओं के साथ विवाद पर भी चर्चा की जा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने 7 नवंबर को वंदे मातरम पर वर्षभर चलने वाले समारोह का शुभारंभ किया था।
चर्चा
राज्यसभा में अमित शाह करेंगे नेतृत्व
वंदे मारतम को लेकर राज्यसभा में चर्चा मंगलवार को होगी, जिसका नेतृत्व सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। उसके बाद स्वास्थ्य मंत्री और सदन के नेता जेपी नड्डा बहस में हिस्सा लेंगे। विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे इस पर बोलेंगे लोकसभा में वंदे मातरम पर बहस के लिए कांग्रेस ने दीपेंद्र हुड्डा, बिमोल अकोइजाम, प्रणीति शिंदे, प्रशांत पडोले, किरण चमाला रेड्डी और ज्योत्सना महंत सहित वक्ताओं का चयन किया है।
विवाद
प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही उठा दिया था विवादित मुद्दा
प्रधानमंत्री मोदी ने 7 नवंबर को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर बोलते हुए इसके कुछ छंद हटाने को लेकर बहस छेड़ दी थी। उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बिना भारत की आजादी से कई साल पहले इस गीत के कुछ महत्वपूर्ण छंदों को हटाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि 1937 में वंदे मातरम के कुछ महत्वपूर्ण छंद, जो इसकी आत्मा का एक हिस्सा थे, काट दिए गए और वंदे मातरम के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए।
विवाद
संसदीय बुलेटिन से भी विवाद गहराया
इस बीच एक संसदीय बुलेटिन भी जारी हुआ, जिसमें सदन में मर्यादा बनाए रखने के नियमों को दोहराया गया। इस दौरान संसदीय कार्यवाही के दौरान "धन्यवाद", "जय हिंद" और "वंदे मातरम" जैसे नारे न लगाए जाने को कहा गया है। विपक्ष ने वंदे मातरम के जिक्र का फायदा उठाते हुए सरकार को घेरा है और सरकार के रुख पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम 1870 के दशक में बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।