कांग्रेस ने संगठन में किए बड़े फेरबदल, बदलावों में खड़गे की चली या राहुल की छाप?
क्या है खबर?
कांग्रेस ने हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार के बाद अपने संगठन में बड़ा बदलाव किया है।
पार्टी ने 2 राज्यों के लिए महासचिव और 9 के लिए प्रभारी नियुक्त किए हैं। 9 में से 6 प्रभारियों को बदला गया है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) और पंजाब का महासचिव नियुक्त किया है।
बदलावों में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की छाप दिखी है।
बदलाव
क्या-क्या हुए बदलाव?
कांग्रेस ने रजनी पाटिल को हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़, बीके हरिप्रसाद को हरियाणा, हरीश चौधरी को मध्य प्रदेश, गिरीश चोड़नकर को तमिलनाडु और पुडुचेरी, अजय कुमार लल्लू को ओडिशा, के राजू को झारखंड, मीनाक्षी नटराजन को तेलंगाना, सप्तगिरि संकर उलाका को मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और नागालैंड और कृष्ण अल्लावरु को बिहार का प्रभारी बनाया है।
भूपेश बघेल और राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का प्रभारी महासचिव बनाया गया है।
प्रभाव
नियुक्तियों में किसकी चली?
बघेल को देवेंद्र यादव की जगह पंजाब का प्रभार दिया गया है। वहीं, हुसैन ने गुजरात के नेता भरतसिंह सोलंकी की जगह जम्मू-कश्मीर के प्रभारी महासचिव की जिम्मेदारी ली है।
नई नियुक्तियों में से ज्यादातर या तो राहुल गांधी या AICC महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी हैं। बघेल को दोनों का करीबी माना जाता है।
वहीं, हुसैन के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से अच्छे संबंध माना जाते हैं। हुसैन खड़गे के कार्यालय के प्रभारी थे।
प्रभार मुक्त
ये नेता हुए प्रभार से मुक्त
कांग्रेस ने नेताओं को नई जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही कई नेताओं को दायित्व से मुक्त भी कर दिया है। 6 नेताओं को पदमुक्त किया गया है।
राजीव शुक्ला, मोहन प्रकाश, देवेंद्र यादव, अजय कुमार, दीपक बाबरिया और भारत सिंह सोलंकी से प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी छीनी गई है।
पहले राजीव हिमाचल प्रदेश, मोहन बिहार, देवेंद्र पंजाब, अजय ओडिशा, दीपक हरियाणा और भारत जम्मू-कश्मीर के प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा था- संगठन में होंगे बड़े बदलाव
पिछले साल 26 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई थी। इसमें पार्टी ने घोषणा की थी कि वह संगठन में ऊपर से नीचे तक बदलाव करेगी।
पार्टी ने कहा था कि "2025 सभी स्तरों पर पार्टी के लिए संगठनात्मक मजबूती का साल होगा।"
लोकसभा चुनावों में आंशिक सफलता के बाद कांग्रेस महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में चुनाव हार चुकी है। ऐसे में बदलाव तय माने जा रहे थे।