हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव: बेरोजगारी से लेकर पेंशन योजना तक, ये हैं बड़े मुद्दे
अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का मतदान जारी है और राज्य की सभी 68 सीटों पर आज एक साथ मत डाले जा रहे हैं। राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है और दोनों ही पार्टियां आम लोगों के मुद्दों को उठाकर जनता को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस चुनाव के मुख्य मुद्दे क्या हैं।
बेरोजगारी
हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है। राज्य में बेरोजगारी दर सितंबर में 9.2 प्रतिशत और अक्टूबर में 8.2 प्रतिशत थी, जो 7.6 प्रतिशत की राष्ट्रीय औसत से अधिक है। एक अन्य स्टडी के अनुसार, राज्य में 15 लाख युवा बेरोजगार हैं। सरकारी नौकरियों में कटौती और पहाड़ों पर काम की कमी को इस बेरोजगारी का कारण माना जा रहा है। समाचार चैनलों की बहसों में युवा बेरोजगारी के मुद्दे को जमकर उठा रहे हैं।
अग्निपथ योजना
चुनाव का दूसरा मुद्दा कुछ हद तक बेरोजगारी से ही जुड़ा है। रोजगार न मिलने के कारण हताश चल रहे हिमाचल के युवाओं को अग्निपथ योजना से बड़ा झटका लगा है। राज्य से अच्छी-खासी संख्या में युवा सेना में जाते हैं, लेकिन अग्निपथ योजना लागू होने के कारण उन्हें सरकारी नौकरी की जगह मात्र चार साल की अस्थायी नौकरी मिलेगी। इसके कारण युवाओं में भारी नाराजगी है और राज्य में योजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी हुए थे।
पुरानी पेंशन योजना
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन योजना (OPS) भी एक बड़ा मुद्दा है। राज्य में 2003 में OPS को रद्द कर नई पेंशन योजना लागू की गई थी जिसके तहत राज्य सरकार के कर्मचारियों को सरकार की तरफ से पेंशन नहीं मिलती है। कर्मचारियों में भी नई योजना के खिलाफ नाराजगी है और फरवरी में उन्होंने OPS को वापस लागू करने की मांग की थी। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने उनसे ऐसा करने का वादा किया है।
सेब के किसानों की दुर्दशा
सेब के किसानों की दुर्दशा चुनाव के सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। खाद, कीटनाशक और ईंधन की कीमत में वृद्धि के कारण सेब की फसल की लागत बढ़ गई है, लेकिन किसानों को औने-पौने दाम पर ही सेब बेचने पड़ते हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार भी बड़ी कंपनियों को बढ़ावा दे रही है जो अपने पसंद के सेब खरीदती हैं और बाकी सेब खराब जाते हैं।
कार्टून पर GST बढ़ने से बढ़ा किसानों का नुकसान
केंद्र सरकार के सेब के कार्टूनों पर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत GST करने से भी किसानों को नुकसान हुआ है। किसान मौजूदा स्थिति से इतने निराश और हताश हैं कि उनके पास प्रदर्शन करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है।
सड़कें
गांवों में सड़क और कनेक्टिविटी की कमी भी इस चुनाव में एक अहम मुद्दा है। हिमाचल के 39 प्रतिशत गांव और इलाके ऐसे हैं जहां कोई भी सड़क नहीं है और वो बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटे हुए हैं। राज्य के 17,882 गांवों में से मात्र 10,899 गांवों में उचित सड़कें हैं। सरकार के सामने मुख्य चुनौती पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना सड़क बनाने की है, जिसमें वो अभी तक नाकाम रही है।
विभिन्न पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में की मुद्दों को भुनाने की कोशिश
विभिन्न पार्टियों ने अपने घोषणापत्रों में इन मुद्दों को भुनाने की कोशिश की है। कांग्रेस ने पांच लाख युवाओं को रोजगार प्रदान करने, OPS को वापस लागू करने, सेब के लिए MSP घोषित करने और सड़कों के निर्माण में तेजी लाने का वादा किया है। AAP ने भी छह लाख युवाओं को रोजगार देने, OPS को वापस लागू करने और फलों पर MSP देने का वादा किया है। भाजपा ने आठ लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है।