विधानसभाओं में निर्दलीय विधायक घटे; हरियाणा में 3 दशक में सबसे कम, बाकी जगह क्या है स्थिति?
क्या है खबर?
देश में हो रहे विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या लगातार कम होती जा रही है।
हाल ही में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनावों में केवल 3 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है, जो बीते 3 दशक में सबसे कम है।
इस साल जिन अभी तक जहां विधानसभा चुनाव हुए हैं, उनमें से केवल जम्मू-कश्मीर में 5 से ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है।
आइए आंकड़ों से कहानी समझते हैं।
2024
इस साल 2,240 निर्दलीय मैदान में उतरे, केवल 16 जीते
इस साल हरियाणा और जम्मू-कश्मीर सहित 6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें 2,240 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन केवल 16 ही जीतने में सफल हुए।
सबसे ज्यादा 7 उम्मीदवार जम्मू-कश्मीर से हैं। ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और हरियाणा में 3-3 निर्दलीयों को जीत मिली।
जबकि आंध्र प्रदेश और सिक्किम में एक भी निर्दलीय उम्मीदवार जीत नहीं पाया।
आंध्र प्रदेश में 984 निर्दलीय मैदान में थे, लेकिन सभी हार गए।
2023
2023 में कैसा रहा हाल?
2023 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव हुए थे। सभी जगहों पर 4,390 निर्दलीय मैदान में थे, जिनमें से मात्र 16 को जीत मिली।
सबसे ज्यादा 8 निर्दलीय राजस्थान में जीते, जहां 738 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे।
मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मिजोरम और त्रिपुरा में एक भी निर्दलीय जीत नहीं सका। मध्य प्रदेश में 1,166 निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन सभी हार गए।
2020-22
2020-22 के दौरान केवल 0.25 प्रतिशत निर्दलीय जीते
2020-22 के दौरान बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, दिल्ली और असम में चुनाव हुए।
इन सभी चुनावों में 7,196 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें से केवल 18 को जीत मिली, जो कुल उम्मीदवारों का 0.25 प्रतिशत है। सबसे ज्यादा 6 निर्दलीय केरल में जीते।
उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में एक भी निर्दलीय विधायक नहीं बन सका, जबकि तमिलनाडु में 2,075 निर्दलीय मैदान में थे।
हरियाणा-जम्मू-कश्मीर
हरियाणा-जम्मू-कश्मीर में कैसा रहा निर्दलीयों का प्रदर्शन?
हरियाणा में 3 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की, जो बीते 3 दशकों में सबसे कम है।
1996 से 2005 के बीच राज्य में हुए 3 विधानसभा चुनावों में निर्दलीयों की संख्या 2 अंकों में रहती थी। हरियाणा में 1996 में 10, 2000 में 11, 2005 में 10, 2009 में 7, 2014 में 5 और 2019 में 3 निर्दलीय जीते थे।
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर में 2002 में सबसे ज्यादा 13 निर्दलीय चुने गए थे।
संख्या
कैसे कम हो रही है निर्दलीय विधायकों की संख्या?
देशभर में 2020-24 के दौरान 29 विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें 14,040 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से केवल 62 को ही जीत मिली।
यहां तक कि 11,599 उम्मीदवारों की तो जमानत जब्त हो गई। इस दौरान 10 राज्यों में तो एक भी निर्दलीय उम्मीदवार नहीं जीत सका।
असम, बिहार, पंजाब और पश्चिम बंगाल में सिर्फ एक-एक निर्दलीय को जीत मिली। केवल राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, केरल और पुडुचेरी में 5 से ज्यादा निर्दलीय विधायक चुने गए।