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कांग्रेस नेता गुलाम नबी ने दिया राजनीति छोड़ने का संकेत, बोले- लोगों को बांटती हैं पार्टियां
कांग्रेस नेता गुलाम नबी ने दिया राजनीति छोड़ने का संकेत

कांग्रेस नेता गुलाम नबी ने दिया राजनीति छोड़ने का संकेत, बोले- लोगों को बांटती हैं पार्टियां

Mar 21, 2022
11:58 am

क्या है खबर?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने राजनीति छोड़ने का संकेत देते हुए राजनीतिक पार्टियों के व्यवहार पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों हर समय लोगों को बांटने का काम करती हैं और उनकी पार्टी कांग्रेस भी इससे अछूती नहीं है। आजाद ने समाज की बुराइयों के लिए राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इन बुराइयों के बीच मानवीय मूल्य पीछे छूटते जा रहे हैं।

बयान

हो सकता है मैं रिटायर होकर समाजसेवा करना शुरू कर दूं- आजाद

कांग्रेस के बागी G-23 समूह में शामिल आजाद ने रविवार को जम्मू में हुए एक कार्यक्रम में कहा, "हमें समाज में बदलाव लाना होगा। कई बार मैं सोचता हूं और ये बहुत बड़ी बात नहीं होगी कि आपको अचानक से पता चले कि मैं रिटायर हो गया हूं और समाजसेवा करना शुरू कर दिया है।" उन्होंने कहा, "राजनीतिक पार्टियों 24*7 लोगों के बीच दूरियां पैदा करने का काम करती हैं। चाहें वो मेरी पार्टी हो या अन्य कोई पार्टी।"

सवाल

"राजनीति इतनी गंदी हुई कि शक होता है हम इंसान भी हैं या नहीं"

राजनीतिक पार्टियों की आलोचना करते हुए आजाद ने कहा कि भारत में राजनीति इतनी गंदी हो गई है कि कई बार शक होता है कि हम इंसान भी हैं या नहीं। उन्होंने कहा, "हम (राजनीतिक पार्टियां) लोगों को क्षेत्र, गांव और शहर, हिंदू और मुस्लिम, शिया और सुन्नी, दलित और गैर-दलित के आधार पर बांटते हैं। इस सब में इंसान कौन रह जाता है? इस गिरावट के बीच मानवीय मूल्यों ने अपनी प्राथमिकता खो दी है।"

द कश्मीर फाइल्स

कश्मीर में जो हुआ, उसके लिए पाकिस्तान और आतंकवाद जिम्मेदार- आजाद

कश्मीर पंडितों के पलायन पर बनी 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म पर सवाल पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि कश्मीर में जो कुछ हुआ, उसके लिए पाकिस्तान और आतंकवाद जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, "महात्मा गांधी सबसे बड़े हिन्दू होने के साथ-साथ सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे। कश्मीर में जो कुछ घटित हुआ, उसके लिए पाकिस्तान और आतंकवाद जिम्मेदार है। इसका असर पूरे जम्मू-कश्मीर पर पड़ा है। इसमें हिन्दू, कश्मीरी पंडित, मुस्लिम और डोगरा सभी शामिल हैं।"

घटती अहमियत

कांग्रेस में घटती जा रही है आजाद की अहमियत

बता दें कि आजाद कई दशकों में पहली बार राज्यसभा के सांसद नहीं हैं और कांग्रेस उन्हें दोबारा भेजने की कोशिश करते हुए भी नहीं दिख रही है। कांग्रेस के अंदर भी उनका कद छोटा हुआ है और पार्टी में सुधार के लिए उन्हें खुलेआम बागी रवैया अपनाना पड़ा है। आजाद हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे और उनके सामने G-23 समूह की शिकायतों को रखा था। समूह पार्टी में सुधार की मांग कर रहा है।