कांग्रेस और अखिलेश के बीच हुई सुलह, INDIA गठबंधन की बैठक में होंगे शामिल- रिपोर्ट
दिल्ली में इस महीने विपक्षी गठबंधन INDIA के शीर्ष नेताओं की बैठक प्रस्तावित है। इसमें आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर चर्चा होनी है और यह बैठक 19 दिसंबर को होने की संभावना है। इस बीच खबर है कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के साथ अपने मतभेद सुलझा लिए हैं और वह बैठक में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले उनके बैठक में शामिल न होने की अटकलें लगाई जा रही थी।
कांग्रेस ने सपा मतभेदों को किया दूर
NDTV के सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस और सपा ने अपने बीच चल रहे मतभेदों को भी दूर कर लिया है और विपक्षी गठबंधन INDIA की अगली बैठक में अखिलेश के शामिल होने की उम्मीद है। इससे पहले कांग्रेस ने 6 दिसंबर को होने वाली बैठक टाल दी थी, जिसमें ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और अखिलेश ने बैठक में विभिन्न कारणों से शामिल होने से इनकार कर दिया था। इस वजह से गठबंधन की बैठक नहीं हो पाई थी।
सीट-बंटवारे पर बातचीत में हो सकती है मुश्किल- विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, हाल में 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में 3 राज्यों में मिली हार के बाद कांग्रेस के लिए सीट-बंटवारे पर बातचीत कठिन होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी है, जबकि वह मध्य प्रदेश में भाजपा को सत्ता से बाहर करने में बुरी तरह फेल हुई है। उनका मानना है कि गठबंधन के शीर्ष नेताओं की नाराजगी कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा सकती है।
INDIA गठबंधन के नेताओं में क्यों बढ़ी दूरियां?
बता दें कि INDIA की आखिरी बैठक 3 महीने पहले हुई थी और इसके बाद कांग्रेस और गठबंधन के बाकी सदस्यों के बीच दूरियां बढ़ी हैं। कांग्रेस के विधानसभा चुनावों में व्यस्त रहने के कारण गठबंधन में खास तरक्की नहीं हुई, जिस पर नीतीश ने कहा था कि कांग्रेस के लिए INDIA से ज्यादा अहम विधानसभा चुनाव हैं। इसके अलावा कांग्रेस और अखिलेश की बीच मध्य प्रदेश चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था।
विधानसभा चुनावों के बाद क्या बदले समीकरण?
INDIA में अभी जो उथल-पुथल मची हुई है, उसे विधानसभा चुनावों के नतीजों से जोड़कर देखा जा रहा है। चुनाव से पहले कांग्रेस गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय पार्टियों पर हावी थी क्योंकि उसने कर्नाटक में भाजपा का करारी मात दी थी। हालांकि, अब 3 अहम राज्यों में उसकी करारी हार के बाद क्षेत्रीय पार्टियां हावी होती दिख रही हैं और कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है। इसका असर सीट बंटवारे पर भी दिख सकता है।