छत्तीसगढ़ चुनावी नतीजे: भाजपा की बड़ी जीत, कांग्रेस के कई दिग्गज हारे
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने के सपनों पर भाजपा ने पानी फेर दिया है। भाजपा ने राज्य की 90 में से 54 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस महज 35 सीटें जीत पाई है। एक सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के खाते में गई है। कांग्रेस के लिए ये बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि पार्टी यहां जीत को लेकर आश्वस्त थी। कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनाव हार गए हैं।
बघेल सरकार के कई मंत्री हारे
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राजनांदगांव सीट से कांग्रेस के गिरीश देवांगन को 45,084 वोटों से हराकर जीत दर्ज की है। निवर्तमान मुख्यमंत्री बघेल ने भी पाटन से अपने भतीजे और भाजपा नेता विजय बघेल को 19,723 मतों से हरा दिया है। निवर्तमान उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत, मंत्री मोहम्मद अकबर, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू और मंत्री मोहनलाल मरकाम को भी हार का सामना करना पड़ा है।
मुख्यमंत्री की रेस में कौन आगे?
मुख्यमंत्री की रेस में रमन सिंह का नाम सबसे आगे है। हालांकि, वे पिछली बार की तरह इस बार मजबूत दावेदारों में नहीं है। उनके अलावा छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष अरुण साव का दावा भी मजबूत माना जा रहा है। साव साहू समाज से आते हैं, जिसकी राज्य में 12 फीसदी आबादी है। राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय, आदिवासी नेता लता उसेंडी और 7 बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल का भी नाम रेस में है।
मुख्यमंत्री बनाए जाने पर क्या बोले रमन सिंह?
रमन सिंह ने कहा, "जनता ने बघेल को खारिज कर दिया है। लोगों ने भूपेश के वादों पर नहीं, बल्कि मोदी की गारंटी पर भरोसा दिखाया है। मैंने पार्टी आलाकमान से कभी कुछ नहीं मांगा। पार्टी जो जिम्मेदारी देती है, मैं उसका निर्वहन करता हूं।"
भाजपा ने बिना मुख्यमंत्री चेहरे के लड़ा था चुनाव
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं किया और पार्टी किसी एक चेहरे के भरोसे नहीं रही। मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सबसे आगे चल रहे रमन सिंह खुद भी कहते रहे कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने केंद्रीय मंत्रियों समेत 4 सांसदों और प्रदेश अध्यक्ष समेत बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। प्रधानमंत्री समेत कई दिग्गज नेताओं ने चुनाव प्रचार किया और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लगातार कांग्रेस को घेरा।
राज्य में क्या थे चुनावी मुद्दे?
छत्तीसगढ़ चुनाव में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा था। बघेल सरकार कोयला खनन, परिवहन और शराब से जुड़े घोटाले के आरोपों का सामना कर रही थी। किसान भी राज्य में बड़ा मुद्दा थे। बघेल राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना के जरिए इस वर्ग को साधने की कोशिश कर रहे थे। छत्तीसगढ़ में भाजपा हिंदुत्व, धर्म परिवर्तन और लव जिहाद जैसे मुद्दों को लेकर भी सरकार पर हमलावर थी। आदिवासी बहुल इलाकों में धर्म परिवर्तन बड़ा मुद्दा था।
छत्तीसगढ़ में नवंबर में 2 चरणों में हुआ था मतदान
छत्तीसगढ़ में सुरक्षा की दृष्टि से 2 चरणों में मतदान कराया गया था। पहले चरण में 7 नवंबर को 20 सीटों पर और 17 नवंबर को दूसरे चरण में बाकी 70 सीटों पर मतदान हुआ था। मतदान के बीच छुटपुट हिंसा की खबरें भी सामने आई थीं। गरियाबंद में नक्सलियों ने पोलिंग पार्टी पर हमला किया, जिसमें भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) का एक जवान शहीद हो गया था। धमतरी में भी नक्सली हमले में 2 जवान घायल हुए थे।