भाजपा ने उत्तर प्रदेश में किया बड़ा बदलाव, 71 प्रतिशत जिला इकाइयों के बदले अध्यक्ष
भाजपा ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव किए हैं। पार्टी ने उत्तर प्रदेश के 98 संगठनात्मक जिला इकाइयों में से 69 इकाइयों में नए जिलाध्यक्ष नियुक्त किए हैं। यह संख्या कुल इकाइयों की करीब 71 प्रतिशत है। 29 जिलाध्यक्षों को दोबारा मौका दिया गया है। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर उत्तर प्रदेश भाजपा का नेतृत्व बीते 2 महीने से लगातार बैठकें कर रहा था।
किस क्षेत्र की कितनी जिला इकाइयों में हुआ बदलाव?
भाजपा ने पश्चिमी क्षेत्र में 19 जिला इकाइयों में से 17 और कानपुर क्षेत्र में 17 जिला इकाइयों में से 13 में बदलाव किया है। भाजपा के अवध क्षेत्र की 15 जिला इकाइयों में से 10 में नए जिलाध्यक्ष नियुक्त किए हैं। गोरखपुर क्षेत्र की 12 जिला इकाइयों में से 9 के जिलाध्यक्ष बदले गए हैं। बृज क्षेत्र और काशी क्षेत्र की भी 10-10 जिला इकाइयों के जिलाध्यक्षों को बदला गया है।
लोकसभा चुनाव के परिदृश्य पर किया गया विचार- प्रदेश अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने बड़े पैमाने पर किए गए संगठनात्मक बदलाव पर कहा, "कई जिलाध्यक्षों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। कुछ को संगठन में पहले ही अलग-अलग भूमिकाएं दे दी गई हैं। नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करते समय लोकसभा चुनाव के राजनीतिक परिदृश्य पर भी विचार किया गया है।" चौधरी ने आगे कहा कि जल्द ही जिला प्रभारियों की नियुक्ति भी कर दी जाएगी।
पश्चिम क्षेत्र में किया गया सबसे बड़ा बदलाव
भाजपा ने सबसे बड़ा बदलाव पश्चिम क्षेत्र में किया है, जहां पार्टी की 19 जिला इकाइयां हैं। इस क्षेत्र में केवल 2 जिला इकाइयों के अध्यक्षों को बरकरार रखा गया है, जिनमें गाजियाबाद महानगर और सहारनपुर जिला शामिल हैं। बता दें कि भाजपा ने 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश में सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 2019 में केवल 7 सीटें जीतने में कामयाब हो पाई थी।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने 2 सीटें हासिल की थीं। भाजपा ने हारी हुई 16 सीटों के तहत आने वालीं 15 जिला इकाइयों में से 14 के अध्यक्षों को बदल दिया है। भाजपा ने पिछले साल उपचुनाव में आजमगढ़ और रामपुर सीट पर जीत दर्ज करने के बावजूद जिलाध्यक्षों को बदल दिया है।