लोकसभा चुनाव: जनता की राय से कामकाज की रिपोर्ट तक, ऐसे उम्मीदवार तय कर रही भाजपा
भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जल्दी ही घोषित कर सकती है। उम्मीदवारों के चयन ने लिए पार्टी ने इस बार सोशल मीडिया के जरिए आम जनता से सुझाव मांगे थे। इसी संबंध में गुरुवार देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीदवारों की पहली सूची पर फैसला लेने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ अहम बैठक भी की। पार्टी का उद्देश्य चुनावों से पहले उम्मीदवारों की घोषणा कर विपक्ष पर दबाव बनाने का है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देर रात तक की बैठक
इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान 18 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश की राज्य-स्तरीय चुनाव समिति के पदाधिकारियों उम्मीदवारों की जानकारी दी। बैठक में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम, उत्तराखंड और गोवा के मुख्यमंत्री भी मौजूद थे। इसके अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद पटेल और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने चर्चा में हिस्सा लिया।
बैठक में क्या-क्या चर्चा हुई?
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, इस बैठक में पार्टी ने उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में 'कमजोर सीटों' पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने की योजना बनाई है। यह वह सीटें हैं जहां 2019 के चुनावों में हार मिली थी। छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल, गुजरात, झारखंड और उत्तराखंड के उम्मीदवारों की चर्चा हुई। बैठक में तेलंगाना की 4-5 सीटों, जम्मू की कुछ सीटों, दिल्ली की 2-3 सीटों पर और गोवा में एक सीट पर चर्चा लगभग पूरी हो चुकी है।
उम्मीदवारों के चयन के लिए जनता से मांगी थी रिपोर्ट
NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया कि भाजपा ने पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार उम्मीदवारों का चयन करने के लिए सार्वजनिक प्रतिक्रिया, आंतरिक मूल्यांकन और उच्च स्तरीय रणनीतिक चर्चाओं के अलावा एक बहुस्तरीय और विस्तृत प्रक्रिया अपनाई है।
पार्टी ने उम्मीदवार तय करने के लिए और क्या प्रक्रिया अपनाई?
भाजपा ने आम जनता को 'नमो ऐप' के जरिए मौजूदा सांसदों के प्रदर्शन पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए एक मंच दिया था। इसके अलावा पारंपरिक तरीकों से हटकर, भाजपा ने प्रत्येक क्षेत्रों के 3 सबसे लोकप्रिय नेताओं के बारे में आम जनता से राय भी मांगी। पार्टी इस तरीके के जरिए एक ऐसे उम्मीदवार का चयन सुनिश्चित करना चाहती है जो स्थानीय आबादी की भावनाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप हों।
2 वर्षों से हर संसदीय क्षेत्र की जानकारी इकट्ठा कर रही भाजपा
पिछले 2 वर्षों में भाजपा लगातार अपने सांसदों से फीडबैक लेती रही है और उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता रहा है। निर्णय लेने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए सर्वेक्षण एजेंसियों के जरिए हर संसदीय क्षेत्र से जुड़ी रिपोर्ट भी संकलित की है। इसके अलावा मंत्रियों को लोकसभा सीटों का दौरा करने, रिपोर्ट संकलित करने और मौजूदा सांसदों के प्रदर्शन के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का काम भी सौंपा गया था।
भाजपा का स्पष्ट संदेश- खराब रिपोर्ट वालों को नहीं मिलेगा टिकट
मंत्रियों और संगठनात्मक स्रोतों से एकत्रित जानकारी की राज्य-स्तरीय चुनाव समिति की बैठकों में चर्चा की गई। जानकारी को राज्य प्रमुखों ने नड्डा, शाह और महासचिव बीएल संतोष जैसे शीर्ष नेताओं के साथ चर्चा की। इस तरह भाजपा ने उम्मीदवारों की आखिरी सूची तय की। भाजपा नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि खराब प्रदर्शन वाले सांसदों को टिकट नहीं दिए जाएंगे। नए चेहरों को मौका देने के लिए कम से कम 60-70 मौजूदा सांसदों के टिकट रद्द हो सकते हैं।
भाजपा अधिक OBC उम्मीदवारों पर खेलेगी दांव?
पार्टी ने कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय से आने वाले उसके कई सांसदों के दोबारा चुनाव लड़ने की उम्मीद है। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को सफलता मिली क्योंकि उसके 85 OBC सांसद जीते थे। अनुमान है कि भूपेन्द्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान और मनसुख मांडविया सहित कई केंद्रीय मंत्रियों को लोकसभा चुनावों के लिए नामांकित किया जा सकता है। यही कारण है कि इन मंत्रियों को राज्यसभा चुनावों के लिए दोबारा अवसर नहीं दिया गया।