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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा ने कैसे हासिल की JDU की बराबरी? जानिए गठबंधन का इतिहास
बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार JDU के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेगी भाजपा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा ने कैसे हासिल की JDU की बराबरी? जानिए गठबंधन का इतिहास

Oct 13, 2025
06:37 pm

क्या है खबर?

बिहार विभानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान रविवार को खत्म हो गई। गठबंधन की 2 सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (JDU) बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। इससे पहले तक भाजपा की तुलना में JDU अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती थी, लेकिन इस बार भाजपा ने खुद को JDU के बराबर लाकर खड़ा कर दिया। आइए जानते हैं भाजपा ने यह सफलता कैसे हासिल की।

बंटवारा

किस दल को मिली कितनी सीटें?

नई दिल्ली में रविवार को हुई लगातार बैठकों के बाद सीट बंटवारे पर मुहर लगाई गई। उसके बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि बिहार में भाजपा और JDU बराबर रूप से 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJP-R) को 29 सीटें मिली हैं। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) को 6-6 सीटें दी गई हैं।

बराबरी

भाजपा ने कैसे हासिल की बराबर सीट?

भाजपा और JDU की सियासी दोस्ती 25 सालों से चल रही है। 2005 से 2020 तक बिहार के सभी चुनावों में JDU ने अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा है, लेकिन 2025 में स्थिति बदल गई है। इस बदलाव की शुरुआत विधानसभा चुनाव 2020 से हुई। JDU ने 115 सीटों में से केवल 43 सीटें जीती थी, लेकिन भाजपा ने 110 में से 74 पर जीत हासिल की थी। भाजपा को उसी जीत ने JDU के बराबर लाने का रास्ता खोला।

प्रभाव

2020 के चुनाव के बाद बढ़ा भाजपा का प्रभाव

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा की 2020 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद उसका बिहार में NDA गठबंधन में राजनीतिक प्रभाव लगातार बढ़ा है। उस जीत के बाद ही भाजपा ने स्पष्ट कर दिया था कि वह अब दूसरे नंबर पर नहीं रहेगी। वर्तमान सीट बंटवारा राज्य में JDU की सिकुड़ती जगह का भी संकेत है। अगर, इस बार भी JDU का प्रदर्शन खराब रहता है तो बिहार में उसकी प्रमुख स्थिति को नुकसान पहुंच सकता है।

जानकारी

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने JDU से अधिक सीट पर लड़ा था चुनाव

लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार में भाजपा में 17 और JDU ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था। दोनों दलों ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन राज्य में भाजपा और JDU के बीच बराबरी का खेल भी शुरू हो गया था।

इतिहास

बिहार में कैसा रहा है भाजपा और JDU गठबंधन का इतिहास?

बिहार में भाजपा और JDU ने सबसे पहले फरवरी 2005 में एकसाथ चुनाव लड़ा था। उसमें JDU ने 138 और भाजपा ने 105 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, चुनाव में किसी दल को बहुमत न मिलने पर राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। उसके बाद अक्टूबर 2005 में हुए चुनाव में JDU ने 139 और भाजपा ने 104 सीटों पर चुनाव लड़ा। साल 2010 के चुनाव में JDU ने 141 और भाजपा ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

दरार

2013 में पड़ी थी गठबंधन में दरार

साल 2010 के चुनाव में JDU ने 115 और भाजपा ने 91 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई। हालांकि, 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के बाद नीतीश ने भाजपा से नाता तोड़ लिया। उसके बाद 2015 के चुनाव में JDU ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बना ली। हालांकि, 2017 में नीतीश ने RJD और कांग्रेस से गठबंधन तोड़कर फिर से भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।

बदलाव

2020 के चुनाव में भी भाजपा से अधिक सीटों पर उतरी थी JDU

2020 के विधानसभा चुनाव में JDU ने फिर भाजपा के साथ चुनाव लड़ा। इस बार JDU ने 115 और भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन परिणामों में JDU को बड़ा झटका लगा और वह भाजपा के मुकाबले बहुत कम सीट जीत पाई। उसके बाद 2022 में नीतीश ने फिर से भाजपा से गठबंधन तोड़कर RJD-कांग्रेस के साथ सरकार बना ली, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नीतीश भाजपा के साथ आ गए और अब तक बने हैं।

फायदा

चिराग को क्यों मिला फायदा?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, चिराग ने मांगी गई 40 सीटें न देने पर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की धमकी दे दी थी। उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी सभी 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में उनके वर्चस्व को देखते हुए भाजपा और JDU ने आखिर में उन्हें 29 सीटें देने पर सहमति जता दी। चिराग पर भाजपा ने संकेत दिया है कि वह उन्हें दलित चेहरे के रूप में आगे बढ़ाना चाहती है।

अन्य

HAM और RLM को हुआ नुकसान

मांझी की HAM ने बिना किसी उदार सीट बंटवारे के अकेले चुनाव लड़ने की धमकी दी थी। इसके बाद उन्हें 6 सीटें दिए जाने पर सहमति जताई गई। हालांकि, यह 2020 की तुलना में एक कम है। बता दें कि केंद्रीय मंत्री मांझी की HAM गठबंधन में महत्वपूर्ण भागीदार है। इसी तरह कुशवाह की RLM को भी 6 सीटें दी गई हैं, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं है। उन्होंने NDA पर पार्टी को कमतर आंकने का आरोप लगाया है।

फार्मूला

क्या रहा सीट बंटवारे का फार्मूला?

रिपोर्ट के अनुसार, सीट बंटवारे पर फंसे पेंच के न सुझलने पर भाजपा आलाकमान ने एक सांसद पर 6 सीटें देने का समीकरण बनाया था। इसी फॉर्मूले के तहत चिराग को 5 सांसद के हिसाब से 29 सीटें दी गई। इसी तरह भाजपा को 17 सांसदों के हिसाब से 101 और JDU को 16 सांसदों के हिसाब से 5 सीटें अधिक मिली। इसी तरह मांझी और कुशवाह को एक-एक सांसद होने के कारण 6-6 सीटें देना तय किया गया।