दिल्ली: केजरीवाल सरकार का दावा- उपराज्यपाल ने सोलर नीति पर लगाई रोक
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की सोलर नीति पर रोक लगा दी है। AAP ने ये दावा किया है। बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले ही सोलर नीति का ऐलान किया था। उनका दावा था कि इस नीति के तहत दिल्ली में बिजली के बिल जीरो हो जाएंगे।
क्या है दिल्ली सरकार की सोलर नीति?
केजरीवाल ने जनवरी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 'दिल्ली सोलर नीति, 2024' लॉन्च करने का ऐलान किया था। इसके तहत दिल्ली के सभी लोगों को घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिसके लिए दिल्ली सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाएगी। जो लोग पैनल लगाएंगे, उनका बिजली बिल जीरो आएगा। सरकार ने दावा किया था कि इससे लोग 700 रुपये महीने की कमाई भी कर सकेंगे।
सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल होगा अनिवार्य
नीति के तहत, दिल्ली में स्थित ऐसी सरकारी इमारतें, जिनकी छत का क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर से है, उन पर सोलर पैनल लगाना अनिवार्य किया गया था। ऐसी इमारतों पर अगले 3 साल में सोलर पैनल लगाए जाने थे। केजरीवाल ने कहा था कि नई सोलर नीति के बारे में सारी जानकारी एक जगह उपलब्ध कराने के लिए सोलर पोर्टल भी बनाया जा रहा है। उन्होंने सोलर पैनल पर देशभर में सबसे ज्यादा सब्सिडी देने का ऐलान किया था।
नई नीति का उद्देश्य क्या है?
दिल्ली सरकार की नई सोलर नीति के तहत मार्च, 2027 तक दिल्ली की कुल स्थापित सौर क्षमता को 3 गुना बढ़ाकर 4,500 मेगावाट करना चाहती है। वर्तमान में सौर उत्पादन क्षमता 1,500 मेगावाट है। सरकार के मुताबिक, 2027 तक दिल्ली की बिजली खपत का करीब 20 फीसदी सौर ऊर्जा से पूरा किया जाएगा। इसके अलावा सरकार आवासीय उपभोक्ताओं के बिजली बिल जीरो और व्यावसायिक उपभोक्ताओं के बिल 50 प्रतिशत तक कम करना चाहती है।
नया नहीं है दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में विवाद
बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच किसी मुद्दे को लेकर टकराव हुआ है। हाल ही में सरकार ने आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल पानी के बढ़े बिलों के लिए लाई जाने वाली वन टाइम सेटलमेंट योजना को लागू नहीं कर रहे हैं। उपराज्यपाल ने बजट पेश न किए जाने को लेकर सरकार को पत्र लिखा था। दोनों के बीच अधिकारों से जुड़ा मामला तो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था।
न्यूजबाइट्स प्लस
बता दें कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ देश की राजधानी भी है, इसलिए यहां केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार मिलकर काम करती है। दिल्ली में जमीन, कानून-व्यवस्था और पुलिस का जिम्मा केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है और इसके अलावा बाकी क्षेत्रों में कानून बनाने का अधिकार दिल्ली सरकार को है। इसी वजह से कई बार राज्य और केंद्र सरकार में अधिकारों को लेकर टकराव होता रहता है।