देश के इन राज्यों में दिवाली मनाने का तरीका है अलग, जानें कैसे
हर साल दिवाली हिंदू माह कार्तिक की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है, जो इस बार 31 अक्टूबर को है। हालांकि, देश के राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जहां उत्तर भारत में दिवाली पर कई लोग माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं, वहीं गुजरात, ओड़िशा जैसे राज्यों में त्योहार से जुड़ी अनोखी परंपरा निभाई जाती है। आइए जानें कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में दिवाली कैसे मनाई जाती है।
गुजरात में दिवाली मनाने का तरीका
गुजरात में दिवाली वाले दिन स्थानीय लोग अपने घरों में घी का एक दीया जलाया जलाते है, जो पूरी रात जलता रहता है। फिर त्योहार के अगले दिन की अगली सुबह इस दीये की लौ इकट्ठा की जाती है और इसका इस्तेमाल काजल बनाने के लिए किया जाता है, जिसे महिलाएं अपनी आंखों पर लगाती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पूरे साल घर में समृद्धि बनी रहती है।
महाराष्ट्र में 4 दिन तक मनती है दिवाली
क्या आपको मालूम है कि महाराष्ट्र में 4 दिनों तक दिवाली मनाई जाती है? इसमें पहला दिन वसुबारस होता है और इस अवसर पर गायों और बछड़ों की आरती की जाती है। दूसरे दिन धनतेरस मनाई जाती है, जबकि तीसरे दिन नरकचतुर्दशी होती है, जिसमें लोग सुबह-सुबह सुगंधित तेल से स्नान कर मंदिर जाते हैं। चौथा दिन बड़ी दिवाली का होता है और उस दिन मां लक्ष्मी, धन और आभूषण की पूजा होती है।
ओडिशा में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देकर मनाई जाती है दिवाली
ओडिशा में रहने वाले हिंदू दिवाली पर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। हालांकि, पश्चिम-भारत में त्योहार ज्यादातर व्यवसाय और व्यापार से जुड़ा होता है, जहां नए उद्यम, संपत्तियों की खरीद, कार्यालयों और दुकानों के उद्घाटन और विवाह जैसे विशेष अवसरों को शुभ माना जाता है। दिवाली पर पश्चिमी भारत के लोग अपने घर में मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए रंगोली बनाते हैं और इस पर उनके पैरों के निशान बनाना दिवाली का एक अभिन्न अंग है।
पश्चिम बंगाल में इस तरह मनती है दिवाली
पश्चिम बंगाल में दिवाली के दिन देवी काली की पूजा की जाती है, वहीं कुछ लोग अपने घर में भगवान गणेश की पूजा भी करते हैं क्योंकि वे शुभता के प्रतीक हैं। इसके अतिरिक्त पूर्वी भारत में मोमबत्तियां और दीये जलाने की रस्म लंबे समय से चलती आ रही है। हालांकि, कुछ लोग मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए अपने घरों के दरवाजों को खुला रखते हैं क्योंकि माना जाता है कि देवी एक बार घर का दौरा करती है।