रसोई में रखा यह भारतीय मसाला है आंत्र कैंसर के इलाज में मददगार, अध्ययन में खुलासा
क्या है खबर?
कोलोरेक्टल कैंसर बड़ी आंत या मलाशय में होने वाला कैंसर है, जिसे आंत्र कैंसर नाम से भी जाना जाता है। यह कैंसर आमतौर पर छोटी-छोटी वृद्धि से शुरू होता है। अगर समय पर इनका उपचार न किया जाए तो ये कैंसर का रूप ले सकते हैं। इसी बीच एक नया अध्ययन किया गया है, जिससे सामने आया है कि भारतीय खान-पान में इस्तेमाल होने वाला एक आम मसाला आंत्र कैंसर के इलाज में मददगार हो सकता है।
अध्ययन
हल्दी में मौजूद तत्व है आंत्र कैंसर के इलाज में मददगार
इस अध्ययन को कैंसर लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। इसकी मदद से पता चला की हल्दी में मौजूद करक्यूमिन आंत्र कैंसर के इलाज में सहायक साबित हो सकता है। शोधकर्ताओं ने जांच करके यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या करक्यूमिन एडेनोमा और प्रारंभिक स्टेज में कैंसर कोशिकाओं को बेअसर करके आंत्र के ट्यूमर की शुरुआत को रोक सकता है या नहीं। आइए जानते हैं कि यह अध्ययन किस तरह पूरा किया गया था।
प्रक्रिया
66 रोगियों की जांच करके पूरा हुआ अध्ययन
शोधकर्ताओं ने प्रारंभिक कैंसर स्टेम सेल (CSC) के लिए आंत्र कैंसर के 66 रोगियों की जांच की थी। उन्होंने रोगियों से ताजा आंत्र एडेनोमा, कार्सिनोमा और सामान्य ऊतक इखट्टा किए। उन्होंने नमूनों को एकल कोशिकाओं में विभाजित किया, फिर कोशिकाओं को अलग करने के लिए फ्लोरोसेंस-एक्टिवेटेड सेल सॉर्टिंग (FACS) द्वारा एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज (ALDH) गतिविधि का इस्तेमाल किया। कोशिकाएं 3-आयामी ट्यूमर के रूप में विकसित हुईं, जिनमें करक्यूमिन भी डाला गया था।
जांच
ट्यूमर पर नजर रखने से सामने आई अहम जानकारी
अध्ययन के लिए ट्यूमर की शुरुआत, आकार और उत्तरजीविता पर 20 हफ्तों तक नजर रखी गई। इसके बाद, वेस्टर्न ब्लॉटिंग और लिंकर-संयुग्मित करक्यूमिन बीड्स के साथ एफिनिटी पुल-डाउन और इलेक्ट्रोफोरेटिक मोबिलिटी-शिफ्ट टेस्ट ने ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर NANOG से सीधे कर्क्यूमिन बंधन की जांच की। 24 घंटे और 72 घंटे के बाद NANOG-ओवरएक्सप्रेसिंग HCT116 स्फेरोइड्स के RNA अनुक्रमण के बाद जीन-सेट संवर्धन विश्लेषण (GSEA) से जगह बदलने का पता चला। सभी प्रक्रियाएं संस्थागत और राष्ट्रीय नैतिक मानकों के अनुसार की गई थीं।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
अध्ययन के मुताबिक, करक्यूमिन ने कई प्रकार के मॉडलों में स्टेम-जैसे व्यवहार को बेअसर कर दिया। हालांकि, इसकी प्रभावशीलता मरीज के नमूने और खुराक के अनुसार अलग-अलग थी। 0.1-5 μM की करक्यूमिन सांद्रता ने रोगियों में ट्यूमर को 95 प्रतिशत तक कम कर दिया और ALDH-उच्च अंश को आधा कर दिया। चूहों में करक्यूमिन ने ट्यूमर होने की संभावना को 80 से 105 दिनों तक विलंबित कर दिया और औसत उत्तरजीविता को 117 से 160 दिनों तक बढ़ा दिया।
करक्यूमिन
करक्यूमिन कैसे है मददगार?
करक्यूमिन ने NANOG के होमोडोमेन और C-टर्मिनस को एक साथ मिला दिया, जो आंत्र कैंसर के खिलाफ प्रभावी होते हैं। साथ ही उनके DNA संचार को भी बाधित कर दिया। कम खुराक ने NANOG-संचालित ल्यूसिफरेज गतिविधि को आधा कर दिया और समग्र NANOG फॉस्फोराइलेशन को बदले बिना फोकल एडहेसन किनेज और BMI1 प्रोटो-ऑन्कोजीन मार्गों को कम कर दिया। चिकित्सकीय रूप से प्राप्य करक्यूमिन आंत्र कैंसर की कोशिकाओं को मिटाने का काम करता है।