स्विट्जरलैंड में जन्मीं महिला ने डिजाइन किया था 'परमवीर चक्र', जानें उनके बारे में
परमवीर चक्र सेना में मिलने वाला सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पुरस्कार को डिजाइन किसने किया था? वह सावित्री बाई खानोलकर हैं, जिनका जन्म 20 जुलाई, 1913 के स्विट्जरलैंड के न्यूचैटेल में हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटेन में रॉयल मिलिट्री अकेडमी में प्रशिक्षण के दौरान उनकी मुलाकात मेजर जनरल विक्रम खानोलकर से हुई और पारिवारिक आपत्तियों के बावजूद दोनों ने साल 1932 में मुंबई में शादी कर ली थी।
सावित्री बाई ने अच्छे से अपनाई भारतीय संस्कृति
सावित्री बाई ने भारतीय संस्कृति और इतिहास को पूरी तरह से अपनाया। साथ ही पौराणिक कथाओं, परंपराओं और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने शाकाहारी डाइट को अपनाया और मराठी, संस्कृति औक हिंदी भाषा अच्छे से सीखी। भारतीय संस्कृति के बारे में उनकी गहरी समझ के कारण मेजर जनरल हीरा लाल अटल ने साल 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद वीरता के लिए एक नया पदक डिजािन करने में उनकी सहायता मांगी।
परमवीर चक्र के डिजाइन में शामिल हैं ये चीजें
सावित्री बाई ने भारत के दिग्गज योद्धाओं में से एक छत्रपति शिवाजी से प्ररेणा लेते हुए पदक के दोनों तरफ उनकी प्रसिद्ध तलवार भवानी की आकृति शामिल की। पदक के डिजाइन में भगवान इंद्र के हथियार वज्र को भी शामिल किया, जिसे बनाने के लिए ऋषि दधीचि ने अपने शरीर का बलिदान दिया था। परमवीर चक्र गनमेटल से बनी एक गोलाकरा कांस्य पदक है और इसे 26 जनवरी, 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर पेश किया गया था।
सावित्रीबाई ने इन वीरता पदक को भी किया डिजाइन
परमवीर चक्र के अलावा सावित्रीबाई ने महावीर चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र सहित कई अन्य प्रतिष्ठित वीरता पदक भी डिजाइन किए। वह सामाजिक कार्यों, सैनिकों के साथ उनके परिवारों और विभाजन के दौरान अलग हुए शारणार्थियों का समर्थन करने में शामिल रही थीं। साल 1952 में अपने पति की मृत्यु के बाद वह रामकृष्ण मिशन में शामिल हो गईं और उन्होंने सेंट्स ऑफ महाराष्ट्र नामक किताब लिखी।
अब तक 21 युद्ध नायकों को मिल चुका है यह पुरस्कार
परमवीर चक्र पुरस्कार दुश्मन का मुकाबले करते हुए अदम्य साहस का प्रदर्शन करने वालों, बहादुरी के बड़े कारनामे करने वालों और जान न्यौछावर करने वाले वीरों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार जमीन पर, समुद्र में और आकाश में दुश्मन का मुकाबला करते हुए शौर्य के कारनामे के लिए प्रदान किया जाता है। अब तक 21 युद्ध नायकों को परमवीर चक्र दिया जा चुका है।