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एशिया में पाए जाने वाले 5 दुर्लभ जानवर, जिनके बारे में जानना है जरूरी
एशिया में पाए जाने वाले अनोखे जानवर

एशिया में पाए जाने वाले 5 दुर्लभ जानवर, जिनके बारे में जानना है जरूरी

लेखन अंजली
Jun 06, 2025
05:24 pm

क्या है खबर?

दुनिया में लगभग 87 लाख प्रजातियों के जानवर पाए जाते हैं, जिनमें से कई प्रजातियां केवल एशिया में पाई जाती हैं। इनमें से कुछ जानवर तो बहुत ही दुर्लभ हैं। आज हम आपको ऐसे ही पांच दुर्लभ जानवरों के बारे में बताने जा रहे, जो केवल एशिया में पाए जाते हैं। ये जानवर न केवल देखने में अनोखे हैं, बल्कि इनकी कुछ आदतें और व्यवहार भी अनोखे हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

#1

रेड पांडा

रेड पांडा एक छोटे आकार का भालू है, जिसका रंग लाल होता है। यह जानवर हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है। यह पांडा अपनी अनोखी लाल रंग की फर और प्यारी शक्ल के कारण काफी लोकप्रिय है। यह ज्यादातर बांस खाता है, लेकिन कभी-कभी अन्य पौधों और फलों का भी सेवन करता है। रेड पांडा को 'खुला बांस' और 'बांस-खाने वाला' भी कहा जाता है।

#2

साओला

साओला एक बहुत ही दुर्लभ जानवर है, जो वियतनाम, लाओस, कंबोडिया और थाईलैंड में पाया जाता है। इस जानवर की लंबी नाक और अनोखी आकृति इसे अन्य जानवरों से अलग बनाती है। साओला ज्यादातर जंगलों में रहता है और अपनी लंबी नाक से घास और पौधे खाता है। इसका बचाव जरूरी है क्योंकि यह तेजी से विलुप्त हो रहा है।

#3

प्रोबोस्किस मंकी

प्रोबोस्किस मंकी एक प्रकार का बंदर है, जो बोर्नियो और सुमात्रा द्वीपों पर पाया जाता है। इस बंदर की सबसे खास बात इसकी लंबी नाक है, जो इसे अन्य बंदरों से अलग बनाती है। प्रोबोस्किस मंकी ज्यादातर पेड़ों पर रहता है और अपने लंबे पैरों और हाथों की मदद से ऊंचे पेड़ों तक पहुंचता है। इसका बचाव जरूरी है क्योंकि यह तेजी से विलुप्त हो रहा है।

#4

बैक्ट्रियन कैमल

बैक्ट्रियन कैमल एक प्रकार का ऊंट है, जो मध्य एशिया में पाया जाता है। यह दो कूबड़ वाला ऊंट होता है, जो इसे अन्य ऊंटों से अलग बनाता है। बैक्ट्रियन कैमल बहुत ही मजबूत और सहनशील जानवर होता है, जो कठोर मौसम परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है। इसका बचाव जरूरी है क्योंकि यह तेजी से विलुप्त हो रहा है। बैक्ट्रियन कैमल का उपयोग परिवहन और खेती के कामों के लिए किया जाता है।

#5

मलेयन तेपर

मलेयन तेपर एक प्रकार का टैपर है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। इस जानवर की सबसे खास बात इसकी मोटी त्वचा होती है, जो इसे अन्य टैपर्स से अलग बनाती है। मलेयन तेपर ज्यादातर जंगलों में रहता है और अपने मोटे शरीर की मदद से घास और पौधे खाता है। इसका बचाव जरूरी है क्योंकि यह तेजी से विलुप्त हो रहा है। मलेयन तेपर का उपयोग परिवहन और खेती के कामों के लिए किया जाता है।